शरीर के किसी भी अंग की समस्या को पलक झपकते यूं गायब करेंगे इतने तरह के तेल

बढ़ती बीमारियों के दौर में आज शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं है जहां पर आपको कोई तकलीफ ना हो। ऐसे ही हमारी नाक के पास के हिस्से को हम साइनस कहते हैं। जब इसमें कोई परेशानी होने लगती है तो इस संक्रमण को साइनोसाइटिस या साइनस कहा जाता है। इस बीमारी के होने से आपके माथे और आंखों पर इसके निशा महसूस किए जा सकते हैं। आज हम आपको इस बीमारी के बारे में बताने जा रहे है।

साइनस

टी-ट्री ऑयल

टी-ट्री ऑयल में काफी अच्छी मात्रा में एंटीसेप्टिक के गुण पाए जाते हैं। जो काफी शक्तिशाली होता है। इस तेल में किसी भी तरह के संक्रमण को कम करने की विशेष क्षमता होती है। टी-ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक गुणों के कारण इसका सेवन स्टीम के रूप में किया जाता है। साइनस की अटैक होने पर पानी में इसकी कुछ बूंदों को डालकर स्टीहम लेने से फायदा होता है।

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पुदीने के तेल

पुदीने के तेल में विटामिन ए और सी के साथ मैंगनीज, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फोलेट, पोटेशियम और तांबा जैसे मिनरल पाए जाते हैं। इस में ओमेगा 3 फैटी एसिड भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सर्दियों में छाती पर जमे बलगम से राहत पाने के लिए पुदीने के तेल का उपयोग करें। पुदीने का तेल सांस संबंधित बीमारियां जैसे साइनसाइटिस, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में भी लाभदायक होता है। अगर साइनस के कारण आपका नाक बंद हो गया है, तो पुदीन के तेल को अपनी छाती पर मलें या पानी में डालकर इसकी भाप लें। इससे आपकी नाक तुरंत खुल जाएगी।

लौंग का तेल

लौंग का तेल एंटी-इंफ्लेमेंटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण यह साइनस संक्रमण के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है। इसलिए साइनस से संक्रमण से परेशान लोगों को लौंग के तेल का इस्तेंमाल करना चाहिए।

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लेवेंडर ऑयल

लेवेंडर ऑयल में एंटीहिस्टामिन, एंटी इंफ्लेमेंटरी और बहुत ही काल्मिंग गुण बहुत अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जो जलन को कम करने में मदद करता है। श्वास को भी आराम दिलाता है। इसे इस्तेंमाल करने के लिए लैवेंडर तेल को उबलते पानी में मिलाकर इससे भाप लें। ऐसा करने से साइनस का संक्रमण खत्म होगा और नाक की रुकावट से राहत मिल जाएगी।

 

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