शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष उड़ान भर रचा इतिहास, भावुक माता-पिता बोले- हमें गर्व है

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और ISRO अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। वे 41 वर्षों बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने, इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत सल्युत-7 मिशन में यह उपलब्धि हासिल की थी।

लखनऊ के इस 39 वर्षीय पायलट ने नासा, स्पेसएक्स, और ISRO के सहयोग से इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाई। लॉन्चिंग के दौरान उनके माता-पिता, शंभू दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला, भावुक हो गए और लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी खुशी और गर्व व्यक्त किया। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो गगनयान मिशन (2026-27) की नींव मजबूत करता है।

माता-पिता की भावनाएं और प्रतिक्रिया
शुभांशु के माता-पिता लखनऊ के कानपुर रोड पर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे। मां आशा शुक्ला (67) ने कहा, “यह हमारे लिए और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। जगह-जगह शुभांशु के पोस्टर देखकर दिल खुश हो जाता है। त्रिवेणी नगर का यह लड़का इतनी ऊंचाई पर पहुंच रहा है। हमारी बहू, डॉ. कामना मिश्रा, ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। उनके समर्थन के बिना यह संभव नहीं था।”

पिता शंभू दयाल शुक्ला, एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, ने कहा, “उसका मिशन दोपहर 12:01 बजे IST पर लॉन्च हुआ। हम इसे देखने के लिए बहुत उत्साहित थे। हमारा आशीर्वाद उसके साथ है, और हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उसका मिशन सफल हो। लखनऊ, उत्तर प्रदेश, और पूरे देश का नाम रोशन हो रहा है। हमें उस पर बहुत गर्व है।” लॉन्च से पहले, आशा ने वीडियो कॉल के जरिए शुभांशु को दही-चीनी खिलाने की रस्म निभाई, जो भारतीय परंपरा में शुभकामनाओं का प्रतीक है। उनकी बहन सुची मिश्रा ने कहा, “ये खुशी के आंसू हैं। हमारी उत्सुकता की कोई सीमा नहीं है।”

लॉन्च और मिशन विवरण
एक्सिओम-4 मिशन 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के नासा केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से सुबह 2:31 बजे EDT (12:01 बजे IST) स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन कैप्सूल (C213) के साथ लॉन्च हुआ। 90% अनुकूल मौसम के साथ लॉन्च सफल रहा, और कैप्सूल 26 जून को शाम 4:30 बजे IST ISS से डॉक हुआ। मिशन में शुभांशु के साथ अमेरिका की पेगी व्हिट्सन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोज उज्ना-विज्निएवस्की, और हंगरी के टिबोर कापू शामिल हैं। यह भारत, पोलैंड, और हंगरी का 40 वर्षों बाद पहला सरकारी प्रायोजित मानव अंतरिक्ष मिशन है।

शुभांशु और चालक दल 14-21 दिनों तक ISS पर रहेंगे, जहां वे 31 देशों के 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें भारत के सात प्रयोग शामिल हैं। इनमें माइक्रोग्रैविटी में मूंग और मेथी का अंकुरण, टार्डिग्रेड्स की जैविक प्रक्रियाएं, और मधुमेह रोगियों के लिए इंसुलिन व्यवहार्यता जैसे अध्ययन शामिल हैं। शुभांशु ISS से भारतीय छात्रों और संभवतः PM नरेंद्र मोदी से बात करेंगे, जो युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साह जगाएगा।

शुभांशु के सामान और सांस्कृतिक योगदान
शुभांशु अपने साथ भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं ले गए हैं, जिनमें मूंग दाल हलवा, गाजर का हलवा, आमरस, और चावल जैसी भारतीय मिठाइयां और खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिन्हें वे अपने सहयोगियों के साथ साझा करेंगे। उन्होंने भारतीय तिरंगा, IISc बैंगलोर द्वारा डिजाइन किए गए पोस्टकार्ड, और राकेश शर्मा के लिए एक गुप्त स्मृति चिन्ह भी ले जाया है। इसके अलावा, एक सफेद खिलौना हंस ‘जॉय’ मिशन का पांचवां ‘चालक दल सदस्य’ है, जो एकता और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। उनकी बहन सुची ने बताया कि शुभांशु संभवतः परिवार की तस्वीरें भी ले गए हैं।

माता-पिता और समुदाय की प्रतिक्रिया
लखनऊ के त्रिवेणी नगर में शुभांशु के घर और शहर में उनके पोस्टर लगाए गए हैं, जिससे स्थानीय समुदाय में उत्साह है। SIA इंडिया के अध्यक्ष डॉ. सुब्बा राव पावुलुरी ने कहा, “शुभांशु का अंतरिक्ष में जाना भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम की ताकत दर्शाता है।” उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “यह अंतरिक्ष विज्ञान में भारत का नया अध्याय है। मैं शुभांशु और उनके परिवार को बधाई देता हूं।”

शुभांशु की पत्नी, डॉ. कामना मिश्रा, और उनका छह वर्षीय बेटा लॉन्च देखने के लिए फ्लोरिडा में मौजूद थे। उनकी बहन निधि (MBA धारक) और सुची (स्कूल शिक्षिका) ने भी उनकी उपलब्धि पर गर्व जताया। मई 2025 में, इजरायली अंतरिक्ष यात्री एटयान स्टिब्बे (Ax-1 मिशन) ने लखनऊ में शुभांशु के परिवार से मुलाकात कर उनकी चिंताओं को दूर किया और अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए।

शुभांशु की प्रेरणा और राकेश शर्मा से जुड़ाव
शुभांशु ने राकेश शर्मा को अपना हीरो बताया, जिनसे वे प्रेरित हुए। उन्होंने कहा, “मैं राकेश शर्मा की कहानियां पढ़कर बड़ा हुआ। वे मेरे मेंटर रहे हैं, और मैं उनके लिए एक स्मृति चिन्ह ले जा रहा हूं।” लॉन्च से पहले X पर शुभांशु ने लिखा, “41 साल बाद भारत का तिरंगा फिर से अंतरिक्ष में लहराएगा। जय हिंद।” यह भावना उनके मिशन की राष्ट्रीय भावना को दर्शाती है।

भारत के लिए महत्व
यह मिशन भारत के गगनयान मिशन (2026-27) के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा। ISRO ने शुभांशु की सीट और प्रशिक्षण के लिए ₹500 करोड़ ($60 मिलियन) का भुगतान किया। यह भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन, को मजबूत करता है। शुभांशु की यात्रा ने देश में उत्साह पैदा किया है, और उनके प्रयोग भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में योगदान देंगे।

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