चांद की रोशन किरणों से चमक पड़ा जमीन का ‘ताज’
रिपोर्ट- बृज भूषण
आगरा। ताज महल पर नाइट विजन की शुरूआत दो दिन पहले ही हो चुकी है लेकिन बुधवार की रात बेहद खास रही। शरद पूर्णिमा के रात धरती का चांद कहे जाने वाले विश्व के सात आश्चर्यों में शुमार संगमरमरी इमारत ताज महल को देखना किसी आश्चर्य से कम नही था।
रात के अंधेरे में जब आसमान से शरद के चंद्रमा की रश्मियां ताज पर पड़ी तो मीनार ए मोहब्बत और भी निखर उठी। इस नजारे का दीदार कर देसी विदेशी पर्यटकों रोमांचित हो उठे।
संगमरमरी ताज के धवल हुस्न पर चंद्रमा की श्वेत रश्मियों ने शरद पूर्णिमा पर बुधवार को अप्रतिम आभा बिखेरी। चंद्रमा की अठखेलियां करतीं किरणों जब ताजमहल पर पड़ीं, तो वह दमक उठा।
सौंदर्य के प्रतिमान चांद से होड़ करते ताज के इस मोहक नजारे को देख सैलानियों के मन की मुराद पूरी हो उठी। शरद पूर्णिमा पर चांद धरती के नजदीक होता है। इस दिन जब ताज पर चांद की श्वेत रश्मियां पड़ती हैं, तो वह चांदी सा दमक उठता है। इस नजारे के दीदार को सैलानी साल भर इंतजार करते हैं।
बुधवार को शरद पूर्णिमा पर ताज रात्रि दर्शन के सभी 400 टिकट एक दिन पूर्व मंगलवार को ही बिक गए थे। बुधवार सुबह से ही टिकट बुक कराने वालों को दिन ढलने का इंतजार था। सूरज ढलने और चंद्रोदय के साथ वह पल आ ही गया, जिसकी वह प्रतीक्षा कर रहे थे। मौसम सही रहने और आसमान खुला होने से उनकी मुराद पूरी हो गई।
वीडियो प्लेटफॉर्म से करीब 325 मीटर दूर नजर आते ताज ने उन्हें दीवाना बना लिया। चंद्रमा की किरणों जब ताज के संगमरमरी हुस्न पर पड़ीं, तो सैलानी इस नजारे को देख वाह कर उठे। रात 8:00 से 12:00 बजे तक आधा-आधा घंटे के बैच में 400 सैलानियों ने ताज निहारा।
ताजगंज में शरद पूर्णिमा के चलते सैलानियों ने होटलों में बुकिंग कराई थी। जो लोग टिकट नहीं खरीद सके थे, उन्होंने होटलों की छतों से ताज का चांदनी रात में दीदार किया। आपको बता दें कि 1984 से पहले इस मोहक नजारे का लुत्फ लोग आसानी से उठाया करते थे।
ताजमहल के अंदर जाने आने में कोई रोक टोक नही होती थी और शरद पूर्णिमा के दिन लोग ताज का दीदार आसानी से करते थे। ताज में वर्ष 1983 से पूर्व चमकी के लिए खास इंतजाम होते थे। आज की तरह तब सुरक्षा बंदिशें नहीं थीं। सैलानी मुख्य मकबरे पर जाकर चमकी निहारते थे। सुबह चार बजे तक ताज खुला रहता था। इसके लिए ताज के मुख्य मकबरे पर चढ़ने के लिए चमेली फर्श पर यमुना किनारे की तरफ सीढ़ियां बनाई जाती थीं।
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वर्ष 1984 से इस पर रोक लग गई। करीब दो दशक के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताज रात्रि दर्शन दोबारा शुरू हो सका।इसके बाद कोर्ट ने 28 नवंबर 2014 को पूर्णिमा पर रात में ताज खोलने का आदेश जारी किया। लेकिन शरद पूर्णिमा से 2 दिन पहले और 2 दिन बाद कुल 5 रातों में सिर्फ 2 हजार लोगों को ही ताज के दीदार की अनुमति है।