
बदायूं जिले में गंगा नदी का जलस्तर पिछले तीन दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। बुधवार को जलस्तर 162.51 मीटर तक पहुंच गया, जो कछला में खतरे के निशान 162.44 मीटर से सात सेंटीमीटर अधिक है। गंगा में आई बाढ़ का पानी जिले के 11 गांवों में घुस गया, जिससे 14,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।

दातागंज तहसील के सात और सहसवान के चार गांवों में तीन से चार फीट तक पानी भर गया है। घरों में रखे खाद्य सामान, कपड़े और गृहस्थी का सामान भीग गया है। ग्रामीण छतों पर जरूरी सामान के साथ रहने को मजबूर हैं, जबकि मवेशियों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया गया है।
दातागंज के कमलईयापुर, कदम नगला, दलपतनगला, रैपुरा, जसवंत नगला, प्रेमी नगला, जटा और ठकुरी नगला जैसे गांवों में दो से तीन फीट पानी भर गया है, जिससे 10,000 से अधिक लोग प्रभावित हैं। सहसवान के भमरौलिया, वीर सहाय नगला, खागी नगला, गिरधारी नगला और तौफिया नगला भी बाढ़ की चपेट में हैं। रैपुरा के गणेश कुमार ने बताया कि उनके घर में पानी घुसने से गेहूं, भूसा, कपड़े और अन्य सामान भीग गया, और परिवार छत पर रात गुजार रहा है। जसवंत नगला के सुधाकर ने कहा कि मोटरसाइकिल, बिस्तर और गृहस्थी का सामान डूब गया है, और परिवार छत पर ही गुजारा कर रहा है।
जिला प्रशासन ने राहत कार्य तेज कर दिए हैं। सभी प्रभावित गांवों में स्टीमर लगाए गए हैं ताकि ग्रामीणों की आवाजाही हो सके। गांवों के पंचायत भवनों और स्कूलों में राहत शिविर बनाए गए हैं, लेकिन अधिकतर लोग अपने घरों की छतों पर ही रुके हुए हैं। एसडीएम प्रेमपाल सिंह ने भमरौलिया, वीर सहाय नगला, खागी नगला, गिरधारी नगला और तौफिया नगला का दौरा किया और ग्रामीणों से बाढ़ की संभावना को देखते हुए सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की। उन्होंने सिठौलिया पुख्ता, कमनपुर बेला, जरीफपुर गढ़िया और औरंगाबाद टप्पा जामनी में आश्रय स्थल बनवाए हैं। प्रशासन ने कर्मचारियों को अलर्ट मोड पर रखा है, और बाढ़ चौकियों के जरिए गंगा और गांवों पर नजर रखी जा रही है।
विधायक राजीव कुमार सिंह ने उसहैत के जाटी और जटा गांव का दौरा कर ग्रामीणों का हाल जाना और एसडीएम को राहत सामग्री वितरण के निर्देश दिए। हालांकि, कुछ गांवों में पानी की गहराई के कारण राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। प्रशासन ने ग्रामीणों से अफवाहों पर ध्यान न देने और सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने की सलाह दी है। बाढ़ से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।