गलत हो गया… मोदी-शाह के माथे पर पसीना ला देगा शिवसेना का ये फैसला
पालघर। शिवसेना उम्मीदवार श्रीनिवास सी. वांगा ने मंगलवार को बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन करते हुए पालघर लोकसभा संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपना नामांकन भरा। पार्टी ने एक तरह से अपनी नाराज सहयोगी भाजपा से यह सीट छीन ली है।
यहां पर 28 मई को उपचुनाव होंगे। यह सीट यहां से भाजपा सांसद चिंतामन वंगा के निधन के बाद खाली हो गई थी। वह गुजरात से सटे इस जनजातीय जिले में भाजपा का एक मजबूत चेहरा थे।
श्रीनिवास वंगा मंगलवार दोपहर को शिवसेना के कई मंत्रियों और अन्य नेताओं के साथ एक खुले ट्रक में जुलूस के साथ यहां नामांकन भरने पहुंचे। इस दौरान कई लोगों के हाथों में केसरिया झंडा था और कई समर्थक पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का बैनर और पोस्टर लहरा रहे थे।
पांच दिन पहले ही वंगा परिवार ने मुंबई में ठाकरे परिवार से मुलाकात की थी और चिंतामन वंगा के निधन के बाद भाजपा पर उन्हें (वंगा परिवार को) ‘नजरअंदाज’ करने का आरोप लगाकर शिवसेना में शामिल हो गए थे।
इस घटना के बाद भाजपा नेतृत्व ने वंगा परिवार को मनाने का प्रयास किया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को सार्वजनिक रूप से उनसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
परिवार के आरोपों को दरकिनार करते हुए उन्होंने यह भी घोषणा की कि भाजपा ने वंगा परिवार के सदस्य को पार्टी टिकट देना तय कर लिया है। लेकिन, उनके निवेदन को वंगा परिवार ने नजरअंदाज कर दिया।
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भाजपा के कई राज्य मंत्री, विधायक और पार्टी नेता वंगा परिवार को मनाने पालघर गए, लेकिन सोमवार शाम को शिवसेना ने यहां होने वाले उपचुनाव के लिए श्रीनिवास वंगा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
यह पहली बार है कि केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह गठबंधन में साथ रहने के बावजूद शिवसेना ने अपने गठबंधक के साथी से एक सीट ‘छीन’ ली है। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों पार्टियों ने 2014 विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था।
भाजपा ने अभी तक आधिकारिक रूप से पालघर से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। यहां स्थानीय स्तर पर मजबूत पार्टी बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) और कांग्रेस द्वारा मंगलवार को यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद इस सीट पर चुनाव अब रोमांचक हो गया है।
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शिवसेना पर हमला करते हुए बीवीए ने कहा, “यहां से केवल तीन पार्टियां ही स्वभाविक उम्मीदवार हैं- बीवीए, भाजपा और कांग्रेस। लोग किसी भी बाहरी (शिवसेना) को यहां बर्दाश्त नहीं करेंगे, हालांकि दिवंगत चिंतामन वांगा को उनके काम और अच्छी छवि की वजह से बहुत सम्मान मिला था।”
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