फांसी की सजा पर बोला सुप्रीम कोर्ट, मृत्युदंड देते समय दोषी का बना रहे सम्मान
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका दायर कि है जिसमें किसी दोषी को फांसी की सजा देने के तरीके में बदलाव करने को कहा गया है। ये याचिका वकील ऋषि मल्होत्रा ने दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मृत्युदंड पाने वाले व्यक्ति को शांति से मरना चाहिए ना कि दर्द से। मरते वक्त उस व्यक्ति का सम्मान बना रहना चाहिए। फांसी की सजा पाने वाले व्यक्ति का मलमूत्र निकल जाता है जिससे उसका सम्मान नहीं रहता है।
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इस याचिका में फांसी को मौत का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका बताते हुए जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है।
इसके साथ ही कहा गया है कि फांसी से मौत में 40 मिनट तक का वक्त लगता है जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनटों में ही जान निकल जाती है।
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ऋषि मल्होत्रा ने बताया कि लॉ कमीशन भी अपनी रिपोर्ट में CRPC की धारा 354(5) में संशोधन की सिफारिश कर चुका है। लेकिन सरकार ने इस पर अमल नहीं किया। गौरतलब है कि CRPC की इसी धारा में मरने तक फांसी पर लटकाए रखने की सज़ा का प्रावधान है।
सुनवाई के दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता की तरफ से उठाए गए बिंदुओं को चर्चा के लायक माना। चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की इस बात पर विचार करने की ज़रूरत है कि क्या मौत के लिए कोई कम तकलीफदेह तरीका अपनाया जा सकता है। सरकार इस पर 3 हफ्ते में जवाब दे।