प्रधानमन्त्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में ठेकेदारों की बोल रही तूती, काम के नाम पर चल रही दबंगई

रिपोर्ट- कार्तिकेय द्विवेदी

अम्बेडकर नगर। छत से टपकता पानी, दीवारों में पड़ी दरार और घटिया निर्माण। ये सच्चाई है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना की। ठेकेदारों ने प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बट्टा लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है।

पीएम आवास योजना

प्रधानमंत्री की इस महत्वपूर्ण योजना में ठेकेदारों की इतनी दबंगई है कि वो लाभार्थी का एटीएम कार्ड भी अपने कब्जे में ले लेते हैं।

वहीँ मानक के विपरीप और गुणवत्ताविहीन बन रहे आवासों को लेकर लाभार्थी परेशान हैं। आखिर वो कहाँ और किससे अपना दर्द बयां करें। क्योकि अधिकारी तो ठेकेदारों की जेब में है।

मामला अम्बेडकरनगर जिले का है। जहाँ से विभागीय अधिकारियों ने 4751 लाभार्थियों की सूची शासन को स्वीकृत के लिए भेजी थी, जिसमें से 2400 आवासों की प्रथम क़िस्त लाभार्थियों के खाते में पहले भेजी गई थी।

28 जुलाई को 1401 लाभार्थियों के खाते में प्रथम और द्वितीय क़िस्त एक साथ ट्रांसफर की गई थी। लेकिन प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर विभागीय अधिकारियों की सांठ-गाँठ से ठेकेदारों ने ग्रहण लगा दिया है।

इस योजना में ठेकेदारी प्रथा का इतना बोलबाला है कि अधिकाँश लाभार्थियों का आवास लाभार्थी नहीं। बल्कि जबरन ठेकेदार बनवा रहे हैं। जो लाभार्थी ठेकेदार से आवास निर्माण को राजी नहीं होते है। उनको ठेकेदारों द्वारा धमकाया भी जाता है कि उनका पैसा रुकवा दिया जायेगा। कई लाभार्थियों के बैंक एटीएम और पासबुक ठेकेदारों ने अपने कब्जे में जबरन ले लिए है।

लिहाजा ‘मरता क्या न करता’ वाली कहावत यहाँ चरितार्थ होती नजर आ रही है। और इन आवासों के नियम-विरुद्ध और घटिया निर्माण का सिलसिला जोर-शोर से चल रहा है।

वहीँ इस मामले में स्थानीय सांसद हरिओम पाण्डेय का कहना है कि इस योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा के बारे में वो डीएम से वार्ता कर पूरे मामले की जांच करवाएंगे और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करवाएंगे उनका यह भी कहना है कि इस योजना का लाभ सभी पात्रो तक पहुँचाया जायेगा।

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इस योजना में व्याप्त कमीशनखोरी से जिले के डीएम भी अनजान नहीं है। शायद इसीलिए उन्होंने कुछ दिनों पूर्व इस बाबत एक पत्र जारी कर पात्र लाभार्थियो को जागरूक करने का प्रयास किया कि दलालों के चक्कर में लाभार्थी न पड़े और स्वयं अपने आवास का निर्माण करवाये। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि इस योजना को ठेकेदारी प्रथा से नहीं कराया जा सकता। लाभार्थी को स्वयं सरकार से मिलने वाली धनराशि से आवास का निर्माण करवाना है।

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वहीँ डीएम ने यह भी कहा कि यदि दलालों द्वारा आवास निर्माण कराये जाने की शिकायत आई, तो दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी।

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