कर्मफल दाता भगवान शनि के 9 वाहन और उनका प्रभाव

शनि देवकर्मफल दाता शनि को शास्त्रों में न्यायाधीश कहा गया है, जो मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का फल देते हैं। शनि देव की पूजा के साथ शनि चालीसा भी पढ़ी जाती है। वैसे तो कौवे को शनिदेव का वाहन माना गया है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शनिदेव के 9 वाहन हैं। इनमें से कई तो ज्योतिष की नजर से शुभ माने गए हैं. शनि चालीसा में भी इन वाहनों के बारे में बताया गया है।

भगवान शनि

शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी की राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार उसे अच्छे-बुरे फल की प्राप्ति होती है।

शनि के वाहन निर्धारण का तरीका

व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनो को जोड कर योगफल को नौ से भाग करना चाहिए। शेष संख्या के आधार पर शनि का वाहन निर्धारित होता है। शनि का वाहन जानने की एक अन्य विधि भी प्रचलन में है। इस विधि में निम्न विधि अपनाते हैं।

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शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि संख्या+ ऩक्षत्र संख्या +वार संख्या +नाम का प्रथम अक्षर संख्या, सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग किया जाता है। शेष संख्या शनि का वाहन बताती है।

दोनो विधियों में शेष 0 बचने पर संख्या नौ समझनी चाहिए।

शेष संख्या 1 होने पर शनि का वाहन गधा होता है। यह शुभ नहीं माना जाता है।तब जातक को शुभ फलों को मिलने में कमी होती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने में लिए काफी प्रयास करना होता है। जातक को अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता है।

शेष संख्या 2 होने पर शनि का वाहन घोड़ा होता है। जातक को शुभ फल मिलते हैं। समझदारी से काम लेने पर शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतिक माना जाता है। व्यक्ति इस समय जोश और ऊर्जा से भरा होता है।

शेष संख्या 3 होने पर शनि का वाहन हाथी होता है। इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है। इस स्थिति में जातक को साहस और हिम्मत से काम लेना चाहिए। विपरीत स्थिति में घबराना बिलकुल नहीं चाहिए।

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शेष संख्या 4 होने पर शनि का वाहन भैंसा होता है। मिला-जुला फल मिलने की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम बेहतर होता है।

शेष संख्या 5 होने पर शनि का वाहन सिंह होता है। शुभ फल मिलता है।इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए। अपने विरोधियों से घबराने या डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

शेष संख्या 6 होने पर शनि का वाहन सियार होता है। शुभ फल नहीं मिलते हैं।अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना चाहिए।

शेष संख्या 7 होने पर शनि का वाहन कौआ होता है। कलह में बढ़ोतरी होती है।परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर झगड़ा से बचना चाहिए। बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।

शेष संख्या 8 होने पर शनि का वाहन मोर होता है। शुभ फल देता है. मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।

शेष संख्या 9 होने पर शनि का वाहन हंस होता है। शुभ फल देता है. बुद्धि और मेहनत करके भाग्य का पूरा मिलता है।हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।

 

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