संजीव कुमार के निधन के 8 साल बाद तक रिलीज हुई ये फिल्‍में

संजीव कुमार की यादेंमुंबई। संजीव कुमार की यादें बॉलीवुड के फैंस और उनसे जुड़े लोगों के दिल में आज भी ताजा है। पर्दे पर उनके द्वारा निभाए गए सभी किरदार अमर हो चुके हैं। आज से 32 साल पहले संजीव कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। 32 साल बाद उनके बाद भी उनके किरदारों और फिल्‍मों ने उन्‍हें जिंदा रख रखा है। आज की वो नई पीढ़ी जो संजीव कुमार के जीवनकाल में पैदा भी नहीं हुई थी, वह भी संजीव की अदायगी की मुरीद है।

बॉलीवुड में ‘ठाकुर’ एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही संजीव कुमार का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। ‘शोले’ में ठाकुर का किरदार निभाकर संजीव कुमार कुमार बच्‍चों से लेकर बड़ों तक की याद में बसे हुए हैं। फिल्‍मी दुनिया का ये बड़ा सितारा आज भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन इसकी याद किसी के दिल से नहीं निकल पाई है।

60 अैर 70 के दशक में संजीव ने अपनी अदाकारी से सबको दीवाना बना रखा था। उन्‍होंने अपने करियर में हर तरह के किरदार निभाए थे। ‘ठाकुर’ हो या फिल्‍म ‘खिलौना’ में निभाए गए पागल का किरदार, लोगों के जहन में वो झलकियां आज भी धुंधली नहीं पड़ी हैं।

यह भी पढ़ें: #bigboss11: ढिंचैक पूजा पर गिरी एलिमिनेशन की गाज, दो हफ्ते में हुईं घर से बाहर

बता दें, बहुत कम लोग जानते हैं कि संजीव की 10 फिल्‍में उनके निधन के बाद रिलीज हुई थीं। वह दस फिल्‍में ‘कातिल’ (1986), ‘हाथों की लकीरें’ (1986), ‘बात बन जाए’ (1986), ‘कांच की दीवार’ (1986), ‘लव एंड गॉड’ (1986), ‘राही’ (1986), ‘दो वक्त की रोती’ (1988), ‘नामुमकिन’ (1988), ‘ऊंच नीच बीच (1989) और ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ (1993) थीं।

यह भी पढ़ें:  फैंस के लिए और स्‍पेशल हुआ नवंबर, किंग खान ने दिया रिटर्न गिफ्ट

अपने समय में संजीव सिर्फ एक्‍टिंग ही नहीं बल्कि प्‍यार के अफसानों की वजह से भी सुर्खियों में रहे हैं। 70 का दशक सिर्फ और सिर्फ संजीव और हेमा मालिनी के प्‍यार के अफसानों से रंगा था। हालांकि यह प्‍यार हमेशा एक तरफा रहा।

इस बात को हर कोई मानता है कि हेमा के प्रति एक तरफा प्‍यार ने ही संजीव की जान ले ली। संजीव को हेमा का साथ न मिल पाने का बेइंतेहा दुख था। उनका ये दुख उन्‍हें अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। आखिरकार 6 नवंबर 1985 को संजीव की धड़कनों ने उनका साथ छोड़ दिया। फिल्मी दुनिया का ये सितारा सबको अलविदा कह गया।

LIVE TV