त्रिपुरा पुलिस की कार्रवाई पर सवाल! सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को बचा रही है पुलिस?

त्रिपुरा में पुलिस ने बड़ी संख्या में सोशल मीडिया यूज़र्स पर यूएपीए (UAPA) क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है, जिस पर सुर्खियां तेज़ हो गयी हैं। पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने ‘फ़र्ज़ी फ़ोटो और जानकारियां’ ऑनलाइन अपलोड की थी जिसके कारण सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का ख़तरा था। इस मामले में पुलिस ने राज्य भर से चार लोगों को गिरफ़्तार किया है।

त्रिपुरा पुलिस के एडिशनल एसपी ज्योतिस्मान चौधरी (Jyotisman Chowdhary) ने बताया की, “हालात पिछले नौ दिनों से पूरी तरह से काबू में हैं, एक भी वाकया नहीं हुआ है, सिवाय कुछ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सांप्रदायिकता भड़काने की कोशिश के, लेकिन लोगों ने इनके बहकावे में नहीं आकर अपनी परिपक्वता का परिचय दिया है। हमने ग़ैर क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत 101 सोशल मीडिया अकाउंट पोस्ट पर कड़ी कार्रवाई की है, इसमें 68 ट्विटर (Twitter), 31 फ़ेसबुक (Facebook) और दो यूट्‌यूब (YouTube) अकाउंट शामिल हैं। हमने इन प्लेटफ़ॉर्म से कहा है कि वो अकाउंट चलाने वालों की जानकारी दें और आपत्तिजनक और फ़र्ज़ी पोस्ट को हटाने के लिए कदम उठाएं।”

ज्योतिस्मान चौधरी (Jyotisman Chowdhary) के मुताबिक पुलिस ने अंसार इंदौरी (Ansar Indori) और मुकेश कुमार (Mukesh Kumar) नामक दो लोगों को नोटिस भेजा है, जो सोशल मीडिया हैंडल पर किसी दूसरी घटना की तस्वीरें या वीडियो के साथ भ्रामक बातें लिख रहे थे, जिससे इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैलने का ख़तरा है। पुलिस द्वारा भेजे गए नोटिस में सभी अभियुक्तों को 10 नवंबर तक पूछताछ के लिए दक्षिण अगरतला पुलिस स्टेशन में पेश होने के लिए कहा है। त्रिपुरा हाईकोर्ट ने 26 अक्तूबर को हुई हिंसा के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को 10 नवंबर से पहले एफिडेविट दायर कर ये बताने को कहा कि उन्होंने हिंसा की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए उनके पास क्या प्लान है।

अंसार इंदौरी (Ansar Indori) और मुकेश कुमार (Mukesh Kumar)  सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की चार लोगों की ‘फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम’ और ‘लॉयर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी’ के सदस्य भी थे, जो राज्य में तीन दिनों के दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों से बात की और सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित जगहों पर गए। अगरतला प्रेस क्लब और दिल्ली प्रेस क्लब में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि “त्रिपुरा में मुस्लिम परिवार और उनके धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया गया और पानीसागर में वीएचपी (VHP) और बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेताओं की अगुआई में 5000 लोगों ने पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ नारे लगाए। सबकुछ पुलिस के सामने हो रहा था। पानीसागर में वीएचपी (VHP) की रैली रोवा बाज़ार गई जहां कई अल्पसंख्यकों के दुकान जलाए गए और लूट-पाट की गई और एक जेसीबी (JCB) मशीन के साथ एक भीड़ ने मस्जिद को नुकसान पहुंचाया, भीड़ के साथ जेसीबी (JCB) मशीन क्यों लाई गई थी, क्या मकसद था? पुलिस अपनी ताकत का ग़लत इस्तेमाल कर रही है और जो सही में दोषी हैं उनपर कार्रवाई न कर उनके ख़िलाफ़ कदम उठा रही है जो ज़मीनी हक़ीक़त सामने ला रहे हैं। “

मानवाधिकार संगठन और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की जांच टीम की प्रेस वार्ता में कहा गया की, “मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा के बाद जिस तरीके से हालात बिगड़े हैं, ये दिखाता है कि अगर सरकार चाहती तो भयानक हिंसा को होने से रोका जा सकता था।”

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