जर्जर और टपकते छत के नीचे देश का भविष्य, प्रशासन ने बंद कर रखी है आंख

रिपोर्ट- उमाकान्त मिश्रा

मऊ। जहां एक तरफ प्रदेश सरकार शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। वहीँ दूसरी तरफ मऊ जनपद के शिक्षा विभाग के अधिकारी सरकार के इस मंसूबे पर पानी फेरने पर अमादा हैं।

सरकारी स्कूल

दरअसल, हम बात कर रहे हैं जिले के एक ऐसे प्राथमिक विद्यालय कि जिसमें दो कमरों में कुल 134 बच्चों की पढाई होती है। और दोनों कमरों की छतें भी टूटी हुई हैं। जिससे बरसात के समय में बच्चे कमरें और बरामदों में मिड-डे मिल के बर्तन बाल्टी और भगोना लगाकर पठन पाठन करने को मजबूर हैं।

भारी बारिश के समय कमरों में पानी भर जाता है। और स्कूल की पढाई पुरी तरह से ठप्प हो जाती हैं। वही विद्यालय की हेहमास्टर द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को इस बङी परेशानी को लेकर लिखित शिकायती पत्र भी दिया गया। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई हैं।

बताते चले कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में लगी सरकार के अधिकारी बच्चों की सुरक्षा और पठन-पाठन के प्रति उदासीन हैं। शिक्षा के मंदिरों की हालत जर्जर हो गयी है। ऐसे में दुर्घटनाओं को नकारा नही जा सकता हैं।

यही हाल है जिले के अनेक विद्यालयों का। इन स्कूलों में बच्चे काफी खौफ में शिक्षा ग्रहण करते है। अगर विभाग ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो, बड़ा हादसा होने की आशंका भी बनी हुई है।

कोपागंज ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रेलवे इंदिरा के भवन इसी हालत से गुजर रहा है। दीवारों से पपड़ी उतर रही हैं। छत पूरी तरह से जर्जर हो गयी है। जब बरसात होती है, तो छत से बारिश का पानी टपकने लगता है।

बारिश का पानी स्कूल के भवन में जमा होने लगता हैं। उसे रोकने के लिए मिड-डे मिल के बर्तनों को इस्तेमाल में लिया जाता है। जहां-जहां छत से पानी टपकता है। वहां-वहां भगोना, बाल्टी आदि बर्तनों को लगाया जाता है।

स्कूल के जर्जर भवन से भयभीत छात्र बादल, काजल और कंचन ने बताया कि जब बारिश होती है, तो छत टपने लगता हैं। उसे रोकने के लिए बर्तन लगाया जाता हैं। हम लोगों को हमेशा भय लगा रहता हैं कि कहीं छत ना गिर जाये।

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वहीँ प्रधानाध्यापिका फरहान फातिमा और सहायक अध्यापिका पूनम यादव ने भवन के जर्जरता के बारे में बताया कि स्कूल के भवन के निर्माण सन् 1956 में हुआ था। लेकिन भवन की मरम्मत शिकायत के बाद भी शिक्षा विभाग नहीं करा रहा है।

विद्यालय में 134 बच्चों का एडमिशन हैं। दो कमरों के जर्जर भवन में सभी बच्चों का पठन पाठन प्रभावित होता हैं। किसी तरह से उनकों शिक्षा दी जाती हैं। बारिश के समय भवन टपकने लगता हैं, तो बच्चों को एक स्थान पर एकत्र किया जाता है।

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इसके बावजूद भी बच्चे, उनका बैग व किताबों के साथ हम लोग खुद ही भीग जाते हैं। इसलिए स्कूल की स्थिति काफी खराब है।

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