Parivartini Ekadashi 2018 : इस दिन भगवान विष्णु के पांचवे रूप की पूजा का विशेष महत्व, जानें पूजा की विधि

भाद्रपद शुल्क पक्ष का एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या वामनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह पर्व आज यानी कि 20 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और दान-पान करने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं आखिर क्या है इस पर्व का महत्व और इससे जुड़ी कथा।

भगवान विष्णु

माना जाता है कि इस दिन राजा बलि ने भगवान ने अपने साथ रहने का आशीर्वाद मांगा था साथ ही वह दानव होने के साथ-साथ दयालु और दयावान भी था। भगवान ने अपने भक्त की भक्ति को स्वीकार करते हुए उसको आशीर्वाद दिया साथ ही कष्ण ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व औक एकादशी के बारे में भी बताया।

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा बलि नाम का एक दानव था। दानव होने के साथ-साथ वह भगवान की भक्ति और दान-पुण्य के काम भी किया करता था। इतना ही नहीं वह भक्तों को भोजन भी कराया करता था। भक्ति के कारण वह इतना बलशाली हो गया था कि उसकी राजा इन्द्र का स्थान ग्रहण करने का मन मनाया। तब सभी देवता भगवान के पास गए और सहायता करने की मांग की। इसके बाद भगवान ने वामन का रूप धारण करके राजा बलि के सामने एक छोटे से बालक का रूप धारण करके तीन पग धरती मांगी इसपर राजा बलि ने बालक को धरती धान कर दी। तब वामन रूप भगवान ने अपना विशाल रूप धारण करके तीन पग में ही पूरा संसार नाप दिया।  वामन देव ने अपने प्रथम पग में भूमि और दूसरे पग में नभ ले लिया। तीसरे पग के राजा बलि ने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया।

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पूजा की विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को स्थान दें। साथ ही घर को सजाएं और मंदिर को भी साफ-सुथरा करें। धूप बत्ती जलाएं, दीपक जलाएं। फल अर्पित करें। भगवान को मीठे का भोग लगाएं। फलों और फूलों से भगवान की थाल सजाएं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है। श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें। श्री सूक्त का पाठ भी फलदायी है। इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नामक महामंत्र का जप अवश्य करें। इस दिन फलाहार व्रत रखें। अन्ना का सेवन करना इस दिन मना है।

 

 

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