Onam 2018: बाढ़ के चलते तबाह हुए केरल के लोग कैसे मनाएंगे ओणम का त्योहार

केरल के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक त्योहार है ओणम। जो हर साल बड़ी ही धूम-धाम से केरल के साथ-साथ वहां के आस-पास के राज्यों में भी मनाया जाता था। यह त्योहार  मलयाली हिन्दुओं का नव वर्ष का प्रतीक है।

ओणम केरल

यह एक कृषि पर्व है, जिसे हर समुदाय के लोग उत्साह और धूमधाम के साथ मनाते हैं। यह त्योहार केरल में दस दिनों तक मनाया जाता है। लेकिन इस साल बाढ़ के विनाश ने इस त्योहार की रौनक को फीका कर दिया है। इतना ही नहीं यहां का सबरीमला मंदिर भी बंद कर दिया गया है।

ओणम का त्योहार वैसे तो दस दिनों तक मनाया जाता है। लेकिन इस त्योहार के दो दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। पहला दिन जो 24 अगस्त को था इस दिन को उथ्रादम के नाम से जाना जाता है इस दिन घर की सफाई की जाती है। इस त्योहार की सबसे अच्छी बात है कि यह त्योहार मंदिर में नहीं बल्कि घर पर ही मनाया जाता है। इसलिए एक दिन पहले हर कोई अपने घरों को फूलों से सजा लेते हैं । इतना ही नहीं घर में फूलों का गृह भी बनाते हैं। और दूसरा दिन जिसकी पूजा आज थिरूओणम के नाम से की जाती है। मान्यता है कि इस दिन राजा महाबलि अपनी जनता के बीच आए थे।

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इसे खेतों में फसल की उपज के लिए विशेष तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर केरल में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें से एक है नौका रेस. इस त्यौहार की विशेषता यह है कि इसमें लोग मंदिरों में नहीं, बल्कि घरों में पूजा करते हैं।

दिन की पूजा के बाद लोग नाश्ता करते हैं बाद में दिन में 20 तरह के पकवान बनाए जाते हैं। शाम को फिर से पूजा होती है। इस दिन सभी घरों में शाकाहारी भोजन ही बनाया जाता है।

 

 

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