जुड़वां बच्चों से जुड़े मिथक और उनकी जमीनी हकीकत

जुड़वां बच्चे आज भी कई लोगों के लिए सवाल बना हुआ है। लोगों को इस विषय में कई तरह की गलतफहमियां होती है। जिन्हें बहुत से लोग सच मनाते हैं। जुड़वां बच्चों के लिए कई तरह की भ्रांतियां भी जुड़ी हुई हैं। लोगों को लगता है कि उनका व्यवहार एक जैसा ही होता है। जुड़वां बच्चे को साथ ऐसी कई तरह की बातें जुड़ी हुई हैं।

जुड़वां बच्चे

जुड़वां बच्चे क्यों होते हैं?

जुड़वां बच्चे होना कोई अप्राकृतिक घटना नहीं बल्कि उतना ही सामान्य है, जितना कि एक बच्चे का जन्म होना। केवल कुछ जैविक क्रियाओं के अलग होने से एक ही गर्भ में दो बच्चे हो जाते हैं। आमतौर पर जुड़वां बच्चे दो प्रकार से होते हैं।

डायजाइगॉटिक

महिलाओं के डिंबाशय में हर महीने एक नए डिंब/अंडकोशिका का निर्माण होता है, वहीं पुरुष शुक्राणु अनगिनत होते हैं। संयोगवश कभी-कभी स्त्रियों में 2 अंडकोशिका का प्राकृतिक रूप से भी निर्माण हो जाता है, जिसमें 2 अलग-अलग शुक्राणु के 2 बच्चे जन्म लेते हैं। ये बच्चे थोड़-थोड़े समय के अंतर पर पैदा होते हैं। क्योंकि ये जुड़वा बच्चे अलग-अलग अंडे में होते हैं, इसलिए ये एक-दूसरे से अलग होते हैं। इनकी आदतें और शक्लें एक-दूसरे से नहीं मिलतीं हैं।

मोनोजाइगॉटिक

जब स्पर्म स्त्री की अंडकोशिका में 2 कोशिकाओं में बंट जाए तो इससे उस स्त्री को जुड़वा बच्चे होते हैं। क्योंकि ये एक अंडे में एक शुक्राणु के दो हिस्सों में बंटने की वजह से होता है, इसलिए इन बच्चों की आदतें और व्यवहार नहीं मिलता है मगर शक्ल, कद और स्वभाव एक जैसा ही होता है।

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मिथक- जुड़वां बच्चों की प्लैसेंटा (गर्भनाल) एक ही होती है

सच्चाई- इस बात में कोई भी सच्चाई नहीं है। यह बात कहीं पर से भी ठीक नहीं है। लगभग एक तिहाई यानी 1/3 जुड़वां बच्चों के प्लैसेंटा अलग-अलग होते हैं।

मिथक- जुड़वां बच्चों का अनुवांशिक लक्षण और व्यवहार एक जैसा होता है

सच्चाई- जुड़वां बच्चोंो में जेनेटिक कनेक्शवन हो सकता है अगर उनकी मां को हाईपर – ओव्यूललेशन जीन आनुवांशिकता में मिली हो। जुड़वा बच्चे  रेन्डोम होते है और परिवारिक लक्षण आदि का कोई मतलब या प्रभाव नहीं होता है।

मिथक- जुड़वां बच्चों के फिंगर प्रिंट्स एक समान होते हैं

सच्चाई–  यह बात को कहीं स कहीं तक सच नहीं है। लोगों को लगता है कि बच्चों के फिंगरप्रिंट्स एक समान है। लेकिन ऐसा तो बिल्कुल हो ही नहीं सकता है क्योंकि हर इंसान की शारीरिक संरचना अलह होती है। हर व्यक्ति के व्यावहार में कई तरह का फर्क होता है।

मिथक- जुड़वां बच्चों के जन्म में कुछ मिनटों का अंतर होता है

सच्चाई-  लोगों को लगता है कि जुड़वां बच्चों के बीच में कुछ ही मिनटों का फर्क होता है। लेकिन ऐसा सच नहीं है। हमेशा ऐस नहीं होता है। कभी-कभी बच्चों के बीच में आधे से एक घंटे का भी फासला हो सकता है।

 

 

 

 

 

 

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