RSS प्रमुख के बयान पर बिफरे मुस्लिम उलेमा, दिया अखंड भारत का ज्ञान!

रिपोर्ट- अर्सलान समदी

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि विपक्षी दल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का खुलेआम विरोध नहीं कर सकते हैं। क्योंकि देश का बहुसंख्य‍क समुदाय भगवान राम की पूजा करता है।

मोहन भागवत

पतंजलि योगपीठ में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी अयोध्यार में राम मंदिर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन कुछ चीजों में समय लगता है। वहीँ इस मसले पर मुस्लिम उलेमा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

दारुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निज़ामी का कहना है कि जिस तरीके से यह बयान आया है कि पार्टियों को अपना रुख साफ करना चाहिए। राम मंदिर मामले पर या पक्ष और विपक्ष राम मंदिर निर्माण चाहता है। यह गलत बयानबाज़ी है।

क्योंकि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मामला सुप्रीम कोर्ट में है। और कोर्ट अपना फैसला पक्ष या विपक्ष क्या चाहता है उसकी बुनियाद पर नहीं। बल्कि कोर्ट की गाइडलाइंस और कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा लिहाज़ा ऐसे बयान किसी को भी नही देना चाहिए।

तो वहीँ शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने मोहन भागवत के बयान को सियासी करार देते हुए कहा कि यह जो आरएसएस प्रमुख का बयान है। यह सिर्फ और सिर्फ सियासत है। क्योंकि जैसे-जैसे इलेक्शन करीब आता जाएगा। वैसे-वैसे मंदिर के ऊपर बयान का एक सिलसिला जारी रहेगा।

मेरा कहना यह है कि आरएसएस प्रमुख से अगर आपको मंदिर निर्माण की फिक्र है, तो आपने साढे 4 साल तक आवाज क्यों नहीं उठाई और आपने क्यों नहीं सरकार पर किसी तरीके का दबाव बनाया।

अब इस तरीके की बातें 2019 के इलेक्शन के तहत हो रही है। जो सही नहीं है। जबकि मामला यह सुप्रीम कोर्ट में है और हमारे आपके कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

दूसरी तरफ बड़े मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना ख़ालिद राशिद ने इस बयान पर कहा कि भागवत साहब का अयोध्या के मसले में जो बयान आया है। वह काफी अफसोसनाक और गैर जिम्मेदाराना बयान है।

यह भी पढ़ें:- सरेआम लवजिहाद करने के​ लिए छात्रा से जबरदस्ती कर रहा मनचला, मूकदर्शक बना योगी का एंटीरोमियों सेल

कोई भी शख्स जो बड़े पद पर हो उसको अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और सभी को मालूम है कि अयोध्या का मसला बहुत ही ज्यादा सेंसेटिव है। और पहले भी इस पर काफी सियासत हो चुकी है और मामला अदालत में चल रहा है।

लिहाजा हम सबको इस मसले में अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए और अयोध्या मसले का सबसे बेहतर हल भी यही है।

यह भी पढ़ें:- छात्रों ने दिखाई अदभुत कलाकारी, लोहे के कबाड़ में फूंक दी ज़ान

लेकिन देखा यह गया है कि जब-जब इलेक्शन करीब होते हैं, तो इस तरीके की बयानबाजी या तेज हो जाती हैं। लेकिन जो जिम्मेदार लोग हैं। उनको अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए ऐसी बयानबाजियों से बचना चाहिए।

देखें वीडियो:-

LIVE TV