2019 के लिए मोदी सरकार करेगी संविधान में संशोधन, लगेगा चार राज्यों में राष्ट्रपति शासन!

नई दिल्ली। मोदी सरकार मिशन 2019 के सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। ऐसे में देश में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव एक साथ करने की महत्वाकांक्षी योजना को धरा पर उतारने के संभाव प्रयास किए जा रहे हैं।

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मोदी सरकार

खबर है इसके लिए मोदी सरकार खासकर दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला यह है कि उन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए जहां आम चुनाव के ठीक बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इस तरह उन राज्यों के चुनाव भी आम चुनाव के साथ करा लिए जाएं।

वहीं दूसरा विकल्प है समय से पहले लोकसभा चुनाव। सरकार नवंबर-दिसंबर में लोकसभा चुनाव करा सकती है ताकि वह 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही संपन्न हो।

दोनों विकल्पों में सरकार को संविधान में संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। संविधान संशोधन में बहुत ज्यादा वक्त लगेगा और सरकार को इसके लिए काफी मशक्कत भी करनी पड़ेगी।

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नवभारत टाइम्स के मुताबिक़ इस मामले से जुड़ी चर्चा की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इन विकल्पों में से किसी को लागू भी किया गया तो लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं हो सकते। हालांकि यह देश में एक साथ चुनाव के लिए दिशा तय कर सकता है।

सूत्रों ने बताया कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के एक साथ चुनाव कराने की सभी संभावनाओं पर सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और नीति आयोग के बीच विस्तृत चर्चा हुई थी।

यह भी बताय जा रहा है कि केंद्र सरकार के शीर्ष मंत्री इन विकल्पों पर आखिरी फैसला लेंगे। इस मामले को देख रही संसद की स्थायी समिति का कहना है कि निकट भविष्य में हर 5 साल में एक साथ चुनाव कराना मुश्किल है, लेकिन आगे चलकर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

संसदीय समिति ने इसके लिए सुझाव दिया है कि कुछ राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल को जरूरत के हिसाब से पहले खत्म करने या बढ़ाने की आवश्यकता है।

सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से चुनाव पर होने वाले खर्च के साथ समय की भी बचत होगी।

वहीं सरकार में एक तबके का मानना है कि राष्ट्रपति शासन लागू करना ‘राष्ट्रीय हित’ में है। इस आइडिया के हिमायती लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।

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इन राज्यों की विधानसभाओं का मौजूदा कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है, जबकि सामान्य परिस्थितियों में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके अलावा मिजोरम को भी लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए मनाया जा सकता है।

महाराष्ट्र और हरियाणा की सरकारों से विधानसभा के कार्यकाल को 6 महीने पहले ही खत्म करने के लिए मनाया जा सकता है। दोनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

इस तरह लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव वाले राज्यों की संख्या बढ़ाकर 11 की जा सकती है।

सिक्किम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश और ओडिशा उन राज्यों में शामिल हैं जहां लोकसभा के साथ ही विधानसभा के चुनाव होने हैं।

अगर समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए गए तो सिक्किम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, हरियाणा और महाराष्ट्र को अपनी विधानसभाओं को 6 से 11 महीने पहले भंग करने के लिए मनाया जा सकता है।

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