चंद्रग्रहण 27 जुलाई 2018: पूरे भारत में देखा जा सकेगा ग्रहण, जानिए सही तिथि मुहूर्त और विधि विधान

27 जुलाई को लगने वाला चंद्रग्रहण रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है जबकि सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लगता है। इस नियंम के अनुसार दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से सूतक प्रारंभ हो जाएगा। इस दौरान कोई मंगल कार्य नहीं करने चाहिए। यह चंद्रग्रहण पूरे भारत में देखा जा सकेगा।

चंद्रग्रहण

इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है। यह एक दिव्य संयोग माना जा रहा है। इससे पूर्व 16 साल पहले वर्ष 2000 में ऐसा संयोग बना था। इस अवसर पर स्नान और दान-पुण्य का लाभ सामान्य दिनों से कई गुना अधिक प्राप्त होगा। शास्त्रों के दिशानिर्देश के अनुसार, ग्रहण के मौके पर दान करने के लिए सबसे उत्तम समय वह माना गया है, जब ग्रहण का मोक्ष काल समाप्त हो जाता है।

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आज और कल रात में पूर्ण चंद्र ग्रहण बनने की स्थिति बन रही है। यह चंद्रमा लालिमा लिए हुए प्रतीत होगा। इन दिनों पृथ्वी मंगल ग्रह से निकट होकर गुजर रही है। चंद्रग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पृथ्वी, सूर्य से दूरी पर होता है।

खगोलशास्त्री आर्यभट्ट

ग्रहण की व्याख्या संसार में सबसे पहले भारत के खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने 499 ईस्वी में की थी। संसार में सबसे पहले इन्होंने ही चंद्रग्रहण की व्याख्या की थी। उन्होंने बताया कि यह सूर्य और चंद्र ग्रहण ग्रहों का खोल है और इसे साथ-साथ इसमें छाया की भी विशेष महत्व है। आर्यभट्ट ने यह व्याख्या महज 23 साल की उम्र में की थी।

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 चंद्रमा पूर्ण चंद्र ग्रहण के वक्त लाल रंग में ही क्यों दिखता है?

सूर्य की रोशनी जब पृथ्वी पर विभिन्न परतों से होकर गुजरती है तो यह रोशनी अलग-अलग रंगों में इधर-उधर बिखर जाती है। इन रंगों में लाल रंग ही सबसे ज्यादा चमकता है। सूर्य की लाल रंग की रोशनी पृथ्वी पर सबसे पहले पहुंचती है। जिस कारण ही चंद्रमा ग्रहण से पहले लाल रंग का चमकता है। पूर्ण चंद्रग्रहण की अवस्था में चंद्रमा की चमक सामान्य पूर्णिमा के मुकाबले 500 गुना कम हो जाती है।

 

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