अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारतीय कंपनियों को क्यूबा दवा भेजने से रोका : गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि क्यूबा पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारतीय कंपनियां कैरिबियाई राष्ट्र को दवाएं और विकास संबंधित उपकरण नहीं भेज पा रहीं हैं।

एंटोनियो गुटेरेस

क्यूबा पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर महासभा में अपनी वार्षिक रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और कम से कम चार अन्य बैंकों ने लेन-देन करने से इनकार कर दिया, जो क्यूबा को जरूरी चीजों का निर्यात करने के लिए जरूरी था।

पिछले सप्ताह महासभा में क्यूबा के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों पर चर्चा के दौरान रिपोर्ट को पेश किया गया था।

महासभा ने एक नवंबर को दो के मुकाबले 189 के भारी बहुमत से प्रतिबंधों की आलोचना वाला प्रस्ताव पारित कर वाशिंगटन से प्रतिबंधों को हटाने को कहा था।

अपनी रिपोर्ट में गुटेरेस ने कहा कि फरवरी में भारतीय कंपनी एक्यूलाइफ ने लेवोफ्लॉक्सासिन को सीधे क्यूबा भेजने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसके बैंक को क्यूबा से भुगतान स्वीकार करने का अधिकार नहीं था।

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रिपोर्ट के मुताबिक, लेवोफ्लॉक्सासिन निमोनिया, जीवाणु त्वचा संक्रमण, गले की सूजन और अन्य बीमारियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवा है।

गुटेरेस ने रिपोर्ट में कहा, “क्यूबा से संबंधित भुगतान का प्रबंध करने की बैंकों की अनिच्छा ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक विकास परियोजना को भी प्रभावित किया है।”

उन्होंने कहा, “मार्च में पाया गया कि अंकुर साइंटिफिक एनर्जी टेक्नोलॉजीज ने कहा था कि वह एक गैसीकरण संयंत्र के लिए क्यूबा को उपकरण निर्यात नहीं कर सकता क्योंकि पांच भारतीय बैंकों ने क्यूबा में संयुक्त विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के दफ्तर से उन्हें हस्तांतरण करने से इनकार कर दिया।”

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रिपोर्ट में कहा गया, “वडोदरा की कंपनी ने बताया कि एसबीआई ने यूएनडीपी भुगतान स्वीकारने से इनकार कर दिया क्योंकि यह लेन-देन क्यूबा में लागू परियोजना से संबंधित है।”

भारत क्यूबा पर अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करता आ रहा है। क्यूबा में वर्ष 1961 में फिदेल कास्त्रो के अंतर्गत साम्यवादियों के सत्ता में आने के बाद यह प्रतिबंध लगाए गए थे।

गुटेरेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया है कि वह निरंतर उन देशों द्वारा किसी प्रकार के एकतरफा प्रतिबंधों का विरोध करता रहा है, जो अन्य देश की सम्प्रभुता को चोट पहुंचाते हैं।

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