केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसा: सात जिंदगियां राख, 44 जवानों का रेस्क्यू, दहला देने वाला मंजर

केदारनाथ के पास गौरीकुंड-सोनप्रयाग के जंगल में 15 जून 2025 को हुए हेलिकॉप्टर हादसे ने एक बार फिर केदारघाटी को सिसकियों में डुबो दिया। आर्यन एविएशन का बेल 407 हेलिकॉप्टर, जो केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी लौट रहा था, सुबह 5:20 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सात लोगों की जान चली गई, जिनमें छह यात्री और पायलट शामिल थे। सभी शव बुरी तरह जल चुके थे, जिससे शिनाख्त में भी मुश्किल हुई। रेस्क्यू अभियान में 44 जवानों ने दिन-रात मेहनत कर शवों को दुर्गम जंगल से बाहर निकाला, लेकिन यह मंजर दिल दहलाने वाला था।

रेस्क्यू में 44 जवानों की भूमिका
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के अनुसार, सुबह 6:15 बजे हादसे की सूचना मिलते ही रेस्क्यू टीमें गौरी माई खर्क के जंगल में रवाना हो गईं। एनडीआरएफ के 22, एसडीआरएफ के 8, डीडीआरएफ के 6 और पुलिस के 8 जवान इस अभियान में शामिल थे। करीब एक घंटे में टीमें दुर्गम इलाके में पहुंचीं और पांच घंटे की मशक्कत के बाद सभी सात जले हुए शवों को गौरीकुंड लाया गया। हेलिकॉप्टर पूरी तरह जल चुका था, और मौसम की खराबी ने रेस्क्यू को और चुनौतीपूर्ण बना दिया।

हादसे में बुझ गए सात दीये
मृतकों में उत्तर प्रदेश के बिजनौर की 66 वर्षीय विनोदा देवी और उनकी 19 वर्षीय नातिन तुष्टि सिंह, महाराष्ट्र के यवतमाल के जयसवाल परिवार के तीन सदस्य—41 वर्षीय राजकुमार सुरेश जयसवाल, उनकी पत्नी श्रद्धा और 23 महीने की बेटी काशी, रुद्रप्रयाग के उखीमठ के 46 वर्षीय विक्रम रावत (बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कर्मचारी), और जयपुर के 39 वर्षीय पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) राजवीर सिंह चौहान शामिल थे।

दादी-नातिन की दर्दनाक कहानी
बिजनौर के नगीना निवासी वकील धर्मपाल सिंह अपनी पत्नी विनोदा देवी, नातिन तुष्टि, और पोतों ईशान व गोरांश के साथ 13 जून को केदारनाथ यात्रा पर निकले थे। शनिवार को दर्शन के बाद रविवार सुबह हेलिकॉप्टर में केवल दो सीटें खाली थीं, इसलिए विनोदा और तुष्टि को भेजा गया। तुष्टि, जो दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रही थी, यात्रा पर नहीं जाना चाहती थी, लेकिन मां की जिद के कारण नानी के साथ गई। हादसे में दोनों की दर्दनाक मौत ने परिवार को तोड़ दिया।

23 महीने की काशी की पहली और आखिरी यात्रा
महाराष्ट्र के यवतमाल से आए राजकुमार और श्रद्धा जयसवाल अपनी 23 महीने की बेटी काशी के साथ पहली बार केदारनाथ आए थे। शनिवार को काशी के हाथों जलाभिषेक करवाने के बाद रविवार सुबह वे हेलिकॉप्टर से लौट रहे थे। हादसे में काशी मां की गोद से छिटककर पत्थर पर गिरी और उसकी मौत हो गई। परिवार का बेटा विवान, जो दादा के साथ रुक गया था, सुरक्षित है।

पायलट राजवीर की अनसुनी कहानी
हादसे में जान गंवाने वाले पायलट राजवीर सिंह चौहान दो महीने पहले ही जुड़वां बच्चों के पिता बने थे। उनकी पत्नी दीपिका, जो सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, इस सदमे से उबर नहीं पा रही हैं। राजवीर ने 80 घंटे से अधिक के उड़ान अनुभव के साथ इस साल आर्यन एविएशन जॉइन किया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने हेलिकॉप्टर को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन पंखों के पेड़ से टकराने के कारण यह क्रैश हो गया।

केदारनाथ में बार-बार हादसे, सुरक्षा पर सवाल
2013 की केदारनाथ आपदा के 12 साल बाद भी केदारघाटी में सुरक्षा व्यवस्था नाजुक बनी हुई है। यह तीसरा बड़ा हेलिकॉप्टर हादसा है, जिसमें पिछले तीन वर्षों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। खराब मौसम को हादसे का कारण बताया जा रहा है, लेकिन हेली कंपनियों की मुनाफाखोरी और सुरक्षा नियमों की अनदेखी भी सवालों के घेरे में है। चारधाम यात्रा के दौरान हेलिकॉप्टर सेवाओं की अंधाधुंध उड़ानें और अपर्याप्त सुरक्षा इंतजाम इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार हैं।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर दुख जताते हुए हेलिकॉप्टर सेवाओं को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया। उन्होंने मुख्य सचिव को एक तकनीकी समिति गठित करने और नए सुरक्षा मानक (SOP) तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

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