ज्ञानवापी परिसर का सर्वे: कोर्ट के आदेश पर वीडियोग्राफी करने पहुंची टीम के खिलाफ लगाए गए नारे

वाराणसी  में स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी और सर्वे का काम करने के लिए पहुंची टीम । कोर्ट के आदेश पर यह कार्यवाही हो रही है। इसी बीच श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी और सर्वे का काम आज हो रहा है।

ज्ञानवापी परिसर सर्वे का विरोध कर रह लोगों ने वीडियोग्राफी और सर्वे की टीम के खिलाफ नारेबाजी की। अदालत की ओर से नियुक्त कमिश्नर और उनके साथ की टीम पहुंची तो सड़क पर हंगामा हो गया। एक पक्ष की ओर से हो रही नारेबाजी के बाद दूसरी पक्ष की तरफ से भी नारेबाजी होने लगी। पुलिस ने किसी तरह दोनों तरफ के लोगों को समझाया और सड़क से गलियों की ओर दाखिल कराया। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जा रही है।

सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र सर्वे करने पहुंचे हैं। सर्वे से पहले दोनों पक्ष मस्जिद से कुछ दूर स्थित चौक थाने पर वाहन से पहुंचे। वहां से सर्वे के लिए टीम पहुंची। सर्वेक्षण टीम में पक्ष और विपक्ष के 30 से ज्यादा लोग शामिल हैं। फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम हैं। टीम अंदर दाखिल हो चुकी है। चौक क्षेत्र छावनी में तब्दील हो चुका है।

क्‍या है ज्ञानवापी विवाद


आपको बता दे कि, काशी विश्‍वनाथ मंदिर और उससे लगी ज्ञानवापी मस्जिद के बनने और दोबारा बनने को लेकर अलग-अलग तरह की धारणाएं और कहानियां चली आ रही हैं। हालांकि इन धारणाओं की कोई प्रमाणिक पुष्टि अभी तक नहीं हो सकी है। बड़ी संख्‍या में लोग इस धारणा पर भरोसा करते हैं कि काशी विश्‍वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। इसकी जगह पर उसने यहां एक मस्जिद बनवाई थी। 

जबकि कुछ इतिहाकारों का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 14 वीं सदी में हुआ था और इसे जौनपुर के शर्की सुल्‍तानों ने बनवाया था। लेकिन इस पर भी विवाद है। कई इतिहासकार इसका खंडन करते हैं। उनके मुताबिक शर्की सुल्‍तानों द्वारा कराए गए निर्माण के कोई साक्ष्‍य नहीं मिलते हैं। न ही उनके समय में मंदिर के तोड़े जाने के साक्ष्‍य मिलते हैं। दूसरी तरफ काशी विश्‍वनाथ मंदिर के निर्माण का श्रेय राजा टोडरमल को दिया जाता है।

फिलहाल कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने खुद कमान संभाल रखी है। इतना ही नहीं लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के साथ-साथ आईबी की टीमें भी सादी वर्दी में क्षेत्र में हैं। वीडियोग्राफी और साक्ष्य आदि के संबंध में सुरक्षित स्थान अधिवक्ता आयुक्त को पुलिस उपलब्ध करवाएगी। साथ ही अधिवक्ता आयुक्त नियमानुसार कमीशन कार्यवाही करेंगे और अपनी रिपोर्ट तय तिथि 10 मई को कोर्ट में दाखिल करेंगे।

 

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