ISRO ने नई तकनीक का किया प्रदर्शन, आसान हो जाएंगे भविष्य में स्पेस मिशन!

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने ‘इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर’ (आईएडी) की एक नई तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया, जो मंगल और शुक्र सहित भविष्य के कई मिशनों में उपयोगी साबित हो सकती है। इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) द्वारा निर्मित और विकसित एक आईएडी को ‘थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन’ (टीईआरएलएस) से ‘रोहिणी’ ध्वनि रॉकेट पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

इसरो के अनुसार, आईएडी को शुरू में मोड़ा गया और रॉकेट के पेलोड बे के अंदर रखा गया। उन्होंने कहा कि आईएडी ने लगभग 84 किमी की ऊंचाई तक फुलाया और यह रॉकेट के पेलोड हिस्से के साथ वायुमंडल में उतर गया। उन्होंने कहा कि इसे फुलाने की प्रणाली इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) द्वारा विकसित की गई है। IAD व्यवस्थित रूप से वायुगतिकीय कर्षण के माध्यम से पेलोड को कम करता है और इसे अपने इच्छित पथ पर रखता है।

एयरोस्पेस क्षेत्र में उपयोगी साबित होगी IAD तकनीक
अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा, “आईएडी में अंतरिक्ष क्षेत्र में कई अनुप्रयोगों के लिए काफी संभावनाएं हैं, जिसमें खर्च किए गए रॉकेट चरणों को पुनर्प्राप्त करना शामिल है।” इसमें मंगल या शुक्र पर नीतभार उतारने और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए अंतरिक्ष आधार बनाने की काफी संभावनाएं हैं। आपको बता दें कि इसरो द्वारा विकसित नई तकनीक में रोहिणी साउंडिंग रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं, विदेशों के वैज्ञानिक इसे नियमित रूप से उड़ान प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल करते हैं। एजेंसी ने कहा कि साउंडिंग रॉकेट ऊपरी वातावरण में प्रयोगों के लिए एक अच्छा और रोमांचक मंच प्रदान करता है।

कई अहम मिशनों में अहम भूमिका निभाएगा आईएडी
इसरो ने कहा, ‘शनिवार को माइक्रो वीडियो इमेजिंग सिस्टम जैसे आईएडी के नए घटकों के साथ सफलतापूर्वक प्रयोग किए गए। माइक्रो वीडियो इमेजिंग सिस्टम ने आईएडी की उड़ान प्रक्रिया को कैप्चर किया। IAD एक लघु सॉफ्टवेयर जैसा रेडियो टेलीमेट्री ट्रांसमीटर है। प्रदर्शन के दौरान एमईएमएस (माइक्रो-इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम) पर आधारित ध्वनिक सेंसर का भी परीक्षण किया गया। इसके अलावा उड़ान के दौरान कई नई प्रक्रियाओं का भी परीक्षण किया गया। एजेंसी ने एक बयान में कहा, “आईएडी को बाद में देश के कई प्रमुख मिशनों में शामिल किया जाएगा।”

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