इसरो को आई हॉकिंग की याद, चांद पर आशियाना बसाने की तैयारी

नई दिल्ली: मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. ईश्वर की उपस्थिति पर विश्वास न करने वाले हॉकिंग नास्तिक थे. उन्होंने अपने ज्ञान और प्रयोगों के आधार पर एक नई दुनिया की परिकल्पना की थी. बढ़ते परमाणु हथियारों को जहाँ प्रगति की निशानी माना जाता है वहीं इससे इतर राय रखने वाले हॉकिंग ने इसे दुनिया की तबाही का मुख्य स्रोत बताया था. इन्सान के अस्तित्व को भारी खतरा बताते हुए हॉकिंग ने भविष्य की सम्भावनाएं तलाशने की सलाह दी थी.चाँद

हॉकिंग हमेशा कहा करते थे कि अगर मानव जाति को संपूर्ण विनाश से बचना है और अपना अस्तित्व बचाए रखना है तो उसे अंतरिक्ष में धरती के बाहर कहीं रहने का ठिकाना खोजना होगा. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने इस दिशा में कोशिश भी शुरू कर दी है.

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इसरो इस बात की संभावना तलाश रहा है कि क्या चंद्रमा पर इंसान जाकर रह सकते है. बुधवार को इस बारे में केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी. तेलंगाना राष्ट्र समिति के सांसद सुमन बालका द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसरो दूसरे संस्थानों के साथ मिलकर चाँद पर बसावट के बारे में आधार ढांचों के साथ प्रयोग कर रहा है. अंतरिक्ष विभाग प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत ही आता है.

इस नवीनतम प्रयोग से संबंधित एक और प्रश्न का जवाब देते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चंद्रमा पर बसने के लिहाज से कई तरह के विकल्पों पर शोध हो रहा है.

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एक सवाल के जवाब में कि क्या इसरो ने आगामी मिशनों को ध्यान में रखते हुए चंद्रमा की सतह पर इग्लू जैसी बसावटों के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है? क्या चंद्रमा का इस्तेमाल अंटार्कटिका के मिशन की तरह करने का विचार चल रहा है? इस पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि बसावटों की जरूरतों और जटिलताओं के बारे में कई विकल्पों पर अध्ययन किया जा रहा है.

गौरतलब हो कि इग्लू का इस्तेमाल सर्द जगहों पर लोगों को गर्म रखने के लिए किया जाता है.

इसरो ने चंद्रमा पर अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 साल 2008 में लांच किया था और चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने की तैयारी चल रही है. इसे इसी साल अप्रैल या अक्टूबर में चन्द्रमा पर भेजा जाएगा.

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