
2017 में यूपी एटीएस में अभियान चला प्रदेश में ISIS के एक के बाद एक कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। तेलंगाना पुलिस के इनपुट के बाद ISIS के खुरासान मॉड्यून के आतंकी सैफुल्ला को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद एटीएस ने कई जिलों में ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की थी।

उस दौरान 2017 में तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी और एटीएस चीफ असीम अरुण की टीम ने खुरासान मॉड्यूल का पूरी तरह से खात्मा किया था। इस ग्रुप के 10 में 9 सदस्य पकड़े गए थे जबकि सैफुल्लाह मार गिराया गया था। जिसके बाद से लखनऊ शांत सा हो गया था। लेकिन दोबारा इस तरह से आतंकियों की आहट ने सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आतंकी अपना सेंटर लखनऊ में तो नहीं बनाना चाह रहे हैं?

आपको बता दें कि एटीएस के अनुसार गिरफ्तार मिनहाज और मुशीरूद्दीन मूलतः लखनऊ के रहने वाले हैं। लंबे समय से यह दोनों संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे। मिनहाज के घरवालों को शक हुआ तो दोनों ने मुशीरूद्दीन के घर पर ही ईआईडी फिट करने की योजना बना डाली। लेकिन इसी बीच एटीएस को इसकी भनक लग गयी और दोनों की गिरफ्तारी हुई। मुशीरूद्दीन पहले ई-रिक्शा चलाता था लेकिन बाद में उसने बैटरी की दुकान खोल ली थी। जबकि मिनहाज टेक्नीशियन है।

वह पहले तो विश्वविद्यालय में काम करता था लेकिन बाद में उसने नौकरी छोड़कर गाड़ियों की सेकेंड हैंड बैटरी बनाने और बेचने का काम शुरु किया। यह दोनों काफी लंबे समय से सक्रिय बताए जा रहे हैं। दोनों के लंबे समय से सक्रियता कहीं न कहीं यह सवाल भी खड़ा कर रही है कि आखिर सुरक्षा एजेंसियों को इनकी भनक पहले क्यों नहीं लगी। फिर क्या अब पता चल पाएगा कि इनके मददगार कौन-कौन हैं।
काकोरी क्षेत्र में ही रहता था सैफुल्लाह
यह पहला मौका नहीं है जब काकोरी में इस तरह आतंकी मिले हैं। 8 मार्च 2017 को दो दिन तक चले एनकाउंटर में यूपी एटीएस ने सैफुल्लाह को भी यहीं मार गिराया था। जबकि जनवरी 2016 में एनआईए के इनपुट पर एटीएस ने कार्रवाई करते हुए इंदिरानगर से संदिग्ध आतंकी अलीम को भी गिरफ्तार किया था।
