राजघराने का वो युवा नेता जिसने ‘मामा’ को दे रखी है कड़ी टक्कर!

अमित विक्रम शुक्ला

राजनीति में युवा नेताओं की भागीदारी दिन-ब-बढ़ती जा रही है। जोकि राष्ट्र के नव निर्माण के लिए अच्छी पहल कही जा सकती है। वैसे भी अगर सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाये, तो युवाओं के नेतृत्व और ऊर्जा के भण्डार किसी भी मुल्क की तरक्की का सबसे बड़ा माध्यम बन सकते हैं।

 ज्योतिरादित्य सिंधिया

नेता नगरी के कुछ दिलचस्प किस्सों के साथ आज हम आपको मध्यप्रदेश के उस राजनीतिक परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं। जिनका ताल्लुक ग्वालियर के राजघराने से रहा है।

दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं। युवाओं के चहेते, कुशल वक्ता और सड़क से लेकर संसद तक की लड़ाई में माहिर कांग्रेस पार्टी के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की।

वैसे तो इस नाम से कोई अंजान नहीं होगा। वजह- “राजनीति में सजग प्रहरी की तरह विपक्ष की नब्ज़ टटोलते रहना”।

लगातार 4 बार से सांसद सिंधिया की पकड़ राजघराने की सुन्दर और मोटी चादर वाली दीवारों तक ही नहीं। बल्कि राज्य के चारों कोने पर बैठे उस अंतिम व्यक्ति तक है, जो सूबे को चमकता देखने की चाहत रखता है।

यही वजह है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन्हें प्यार से लोग ‘मामा’ कहकर संबोधित करते हैं। उनकी कुर्सी भी अब खतरे में दिखाई पड़ रही है।

ग्वालियर राजघराने के स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ( जिनका एक अलग ही रुतबा हुआ करता था) के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी, 1971 को मुंबई में हुआ।

ज्योतिरादित्य पहले बॉंम्बे के कैंपियन स्कूल में पढ़ते थे। उसके बाद ज्योतिरादित्य पढ़ने के लिए की दून स्कूल चले गए। ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया चाहते थे कि वह इंग्लैंड जाएँ लेकिन ज्योतिरादित्य अमेरिका जाना चाहते थे।

ज्योतिरादित्य ने हार्वर्ड से स्नातक किया। उसके बाद नौकरी की और फिर स्टैनफ़ोर्ड से बिजनेस की पढ़ाई की। अमरीका में ज्योतिरादित्य साढ़े सात साल रहे।

अब जब माधवराव सिंधिया की बात हो ही चली है, तो उनकी द्वारा कही गयी कुछ बातें याद आती हैं। जोकि उन्होंने अपने बेटे जूनियर सिंधिया के लिए बोली थीं।

तुम अपनी ज़िंदगी में कुछ भी करो। लेकिन ग्वालियर क्षेत्र के लिए तुम्हें कुछ योगदान करना ही होगा। चाहे तुम व्यवसाय करो, राजनीति करो या समाज सेवा। ये तुम्हें तय करना है

सिंधिया

राजनीति से परे अन्य शौक़

राजनीति के अलावा ज्योतिरादित्य को गाड़ियों और कार रेसिंग का बहुत शौक़ है। ज्योतिरादित्य को किताबें पढ़ने, क्रिकेट, तैराकी, बैडमिंटन, स्नूकर और बिलियर्ड्स खेलना भी बेहद पसंद है।

सिंधिया

सिंधिया साहब सामान्य तौर पर ऐतिहासिक और राजनीतिक विषयों की किताबें पसंद हैं।

राजनीति सफ़र

बहुत काम लोग जानते होंगे कि सिंधिया महज तेरह वर्ष की आयु से ही चुनाव प्रचार करते रहे हैं और उन्होंने अपने पिता के लिए भी प्रचार किया है। मतलब, ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ यह कहावत बिलकुल सटीक बैठती है।

बचपन की दिलचस्पी का आलम ये रहा कि उम्र बढ़ते और शाम ढ़लते हुए सिंधिया का प्रचार-प्रसार और राजनीतिक कद दोनों ही बढ़ता गया।

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सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी तब मिली जब उन्हें साल 2001 से अध्यक्ष पद सौंपा गया। इससे पहले उनके पिता माधवराव सिंधिया इस पद की कमान संभाले रहे थे। यही नहीं पहली बार ज्योतिरादित्य अपने पिता के चुनाव क्षेत्र गुना से ही लोकसभा के लिए 2002 में चुने गए थे।

भारत के बारे में सिंधिया का दृष्टिकोण

ज्योतिरादित्य ने कहा हमारे देश भारत में आर्थिक ताक़त के रूप में उभरने और आध्यात्मिक ताक़त के रूप में उभरने की अपार क्षमता है। भारत को स्वामी विवेकानंद ने एक आध्यात्मिक ताक़त बनाने का सपना देखा था।

भारत में आर्थिक और आध्यात्मिक शक्ति के समन्वय के रूप में उभरने की अभूतपूर्व क्षमता है। यही एक महान् देश के निर्माण की नींव बनना चाहिए।

मुझे लगता है कि हमारे देश में ये सारी क्षमताएं मौजूद हैं, बस उसे उजागर करने की ज़रूरत है। इस देश को कोई और रोक नहीं पाएगा। अगर कोई रोकेगा तो हम ही रोक पाएँगे। हमें समाज के सभी अंगों के विकास के लिए मिल कर काम करना चाहिए।

ग्वालियर विरासत का राजकुमार सीएम की गद्दी पर बैठेगा!

2014 में मोदी ने लहर ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को जड़ से उखाड़ फेंक दिया था। सियासी आंधी इतनी ज़ोरदार थी कि 2014 के बाद से जब भी भाजपा-कांग्रेस का आमने-सामने से मुकाबला हुआ। हर बार कांग्रेस को मोदी के आगे नतमस्तक ही होना पड़ा।

लेकिन कर्नाटक में चुनावी रणनीति का कुशल परिचय देते हुए कांग्रेस ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है। लेकिन कांग्रेस को ये भी ज्ञात हो चुका है कि मोदी का सामना करना इतना आसान नहीं है। इसीलिए पार्टी सियासी गठजोड़ की हर संभावनाओं को हरी झंडी दे रही है।

अब जब कुछ ही समय बाद मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सूबे में गहरी पकड़ रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

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अटकलें ये भी हैं कि अगर सूबे की जनता ‘मामा’ (शिवराज सिंह चौहान) को सत्ता से बेदखल करती है, तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुख्यमंत्री बनना कोई हैरत की बात नहीं होगी।

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