शाह या शहंशाह… अटल-महाजन से आगे निकल चुकी है मोदी-शाह की जोड़ी!

अमित विक्रम शुक्ला

पचास-पचास कोस दूर जब भी राजनीति और कूटनीति की बात सामने आती है, तो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से एक ही ऐसा चेहरा सामने आता है। जिसकी राजनीतिक कुशलता का लोहा अन्य विपक्षी दल भी मानते हैं। और उस राजनेता का नाम है अमित शाह।

भारतीय जनता पार्टी

भारतीय जनता पार्टी का एक वो भी इतिहास है। जब पार्टी के पास केवल 2 सांसद हुआ करते थे। जिसके बारे में ये भी कहा जाता है कि तब विपक्षी पार्टी कांग्रेस भाजपा के दो सांसदों के कारण हंसी का पात्र बनाते थे। लेकिन हमे ये भी नहीं भूलना होगा। उस समय संसद के पटल पर अटल बिहारी बाजपेयी ने एक बात कही थी। जोकि आज की परिस्थितियों बिलकुल सटीक बैठती हैं।

मेरी बात को गांठ बाँध लें, आज हमारे कम सदस्य होने पर आप (कांग्रेस) हंस रहे हैं। लेकिन वो दिन आएगा। जब पूरे भारत में हमारी सरकार होगी, उस दिन देश आप पर हंसेगा और आपका मजाक उड़ाएगा

                                                                                                                                                                                                 -अटल बिहारी वाजपेयी                               

भारतीय जनता पार्टी के उदय में जितना योगदान प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का है। अमित शाह का भी उससे ज्यादा कम नहीं है। अमित शाह की राजनीतिक समझ से विपक्ष को चारो खाने चित्त कर रखा है। चुनाव लड़ने की तरीका का बूथ स्तर से राज्य स्तर तक होता है।

इसका जीता जागता उदाहरण देश का सबसे बड़ा सूबा यानी उत्तर प्रदेश का चुनाव रहा। जहां शाह ने ऐसा पासा फेंका कि सपा-बसपा-कांग्रेस के होश उड़ गये। और रही सही कसर चुनाव परिणाम के बाद पूरी हो गई। राजनीति के ‘चाणक्य’ के फेहरिस्त में ऐसे कई चुनाव शामिल है। जहाँ उन्होंने भाजपा का डंका बजा दिया।

जैसे- उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, त्रिपुरा जहाँ के परिणाम ने कांग्रेस पार्टी के वजूद को दांव पर लगा दिया है। यही वजह है कि कांग्रेस को अपना कुनबा बचाने के लिए रीजनल पार्टियों के साथजद्दोजहद करने में लगी है।

साल 2004 में कांग्रेस 13 राज्यों में भाजपा छह राज्यों में सत्ता में थी। आज कांग्रेस चार राज्यों में और भाजपा 21 राज्यों में सत्ता में है। साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीतते वक्त भाजपा सात राज्यों में सत्ता में थी।

राजनीति में एंट्री से पहले वाले अमित भाई शाह

बायोकेमिस्ट्री में B.SC डिग्री धारक अमित शाह राजनीति में आने से पहले प्लास्टिक और PVC पाइप का बिज़नस करते थे। इसके अतिरिक्त अमित शाह एक स्टॉक ब्रोकर भी रह चुके हैं। यानी भाई साहब सभी कला में माहिर हैं।

चाणक्यकी राजनीति में एंट्री

अमित शाह और नरेंद्र मोदी का साथ 1982 से है, जब दोनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। उस समय अमित शाह की उम्र 17-18 वर्ष और नरेन्द्र मोदी 30 वर्ष के थे। सन 1984-85 में अमित शाह भाजपा पार्टी के सदस्य बने।

राजनीतिक जीवन में अमित शाह को पहली बड़ी जिम्मेदारी तब मिली, जब उन्हें सन 1989 में लालकृष्ण आडवाणी के लिये गांधीनगर में चुनाव प्रचार का जिम्मा मिला।

52 वर्षीय अमित शाह अपनी सफलता का कारण अपने दृढ़निश्चयी स्वभाव को मानते हैं। अमित शाह जिस भी क्षेत्र में हाथ डालते हैं, जीत कर ही दम लेते हैं। अमित शाह बहुत सामाजिक व्यक्ति नहीं है। वो नपी तुली, सीधी बात करना और कड़ी मेहनत पसंद करते हैं।

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सन 2010 में जब अमित शाह को एशिया के सबसे बड़ा सहकारी बैंक अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक का अध्यक्ष बनाया गया तो बैंक के हालात काफी ख़राब थे। 36 करोड़ के घाटे का सामना करते हुए बैंक बंद होने के कगार पर था। अमित शाह ने बैंक की जिम्मेदारी सँभालते ही उसकी कायापलट शुरू कर दी। इसका सुखद परिणाम ये हुआ कि अगले साल बैंक ने 27 करोड़ का मुनाफा कमाया।

दिलचस्प बातें

अमित शाह की काबिलियत पर ज़रा भी शक हो, तो इन आंकड़ों पर एक नज़र डालकर देखलो। माजरा खुद-ब-खुद समझ में आ जायेगा।

बात ये है कि अमित शाह ने सन 1989 से लेकर आज तक 42 से अधिक छोटे-बड़े चुनाव लड़े, जिनमें एक में भी वो नहीं हारे। क्या बात। मान गये भैया।

गाँधीवाद में विश्वास रखने वाली अपनी माँ की प्रेरणा से अमित शाह खादी पहनने लगे। इस नियम पर अमित शाह आज भी कायम हैं।

अहमदाबाद के कई प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवारों से अमित शाह का अच्छा सम्बन्ध है। कई मुस्लिम उनके करीबी मित्र हैं, पर वो सार्वजनिक रूप से इसकी चर्चा नहीं करते।

शतरंज के अच्छे खिलाड़ी अमित शाह खाली समय में शतरंज खेलना और शास्त्रीय संगीत सुनना पसंद करते हैं। अपने कॉलेज दिनों में अमित शाह रंगमंच में गहरी रूचि रखते थे और उन्होंने कई प्ले में अभिनय किया था।

सन 2006 में अमित शाह गुजरात स्टेट चैस ऐसोसिएशन के चेयरमैन बने और उन्होंने अहमदाबाद के सरकारी स्कूलों में शतरंज को शामिल किया। अमित शाह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के वाइस-चेयरमैन और अहमदाबाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ क्रिकेट के चेयरमैन भी रह चुके हैं।

कूटनीति में माहिर

विपक्ष को अमित शाह की रणनीति समझ पाना बेहद मुश्किल होता है। यही वजह है कि चुनाव दर चुनाव भारतीय जनता पार्टी का कद बढ़ता ही जा रहा है। आज के समय में 10 करोड़ से अधिक सदस्यों वाली दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी BJP की वर्तमान सफलता के पीछे अमित शाह की ही कुशल दूरदृष्टि और कड़ी मेहनत है।

बीजेपी के आधुनिक चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की जटिल रणनीति के पीछे उनका तेजतर्रार बिज़नेस माइंड है जोकि लाभ-हानि का गहरा विश्लेषण करता है।

शिव भक्त शाह ज्योतिष में भी रखते हैं विश्वास

भगवान शिव में अगाध आस्था रखने वाले अमित शाह ज्योतिष में भी विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि सन 2010 में जब वो जेल गये तो उनके बुरे ग्रह चल रहे थे। वो मानते थे कि जून 2016 के बाद उनका समय अच्छा रहेगा। 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में भारी जीत शायद इसी ओर इशारा करती है।

आगामी चुनाव तय करेंगे भाजपा का भविष्य

तीन उपचुनाव में हार बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी मुश्किल 2019 आम चुनाव को लेकर खड़ी हो गई है। जहां सारा विपक्ष एकजुट होता दिखाई दे रहा है। वहीँ भाजपा अपने पार्टी के अंतर्विरोधों के चलते मुसीबत में दिख रही है। लेकिन कहते हैं न राजनीति का ऊँट किस करवट बैठ जाये। ये बात किसी को पता नहीं होती है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनावी रोड मैप तैयार करने में जुट गये हैं। अब देखना होगा आखिर शाह की रणनीति रंग लाती है, या फिर फिर विपक्ष एकता गुल खिलाती है।

उल्लेखनीय है कि एक समय प्रमोद महाजन को राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। यानी उस समय अटल-महाजन। और आज जब भाजपा ने एक अलग ही मुकाम हासिल कर लिया है, तो भाजपा का मतलब मोदी-शाह हो चला है। दोनों ही जोड़ी अपने समय की राजनीति में सबसे अलग और मज़बूत दिखी है।

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