तालिबान के कब्ज़े में भारत के 23 हजार करोड़ रुपये, अब कैसे होगी वसूली?

आज से करीब एक दशक पहले जब भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के विकास का बीड़ा उठाया था, तब किसी ने नहीं सोचा होगा भारत के तकरीबन 23 हजार करोड़ रुपये के विकासकारी प्रोजेक्ट में फंस जाएंगे। अफ़ग़ानिस्तान में भारत द्वारा अरबों रुपयों लगाकर बनाए गए बांध, स्कूल, बिजली घर, सड़कें, काबुल की संसद, पावर इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और हेल्थ सेक्टर पर आज तालिबानी राज कर रहे हैं। क्या इन निवेशों से भारत का फायदा होगा या नुक्सान, यही सबसे बड़ा सवाल है।

अफ़ग़ानिस्तान में हुए सत्ता परिवर्तन से भारत की चिंता बढ़ी हैं। विदेशी मामलों के जानकार डॉक्टर एलएन राव के मुताबिक़ भारत- अफ़ग़ानिस्तान की दोस्ती पकिस्तान को रास नहीं आती थी। दोनों देशों के बीच दोस्ती से पाकिस्तान का दम घुटता था। डॉक्टर राव बताते हैं की अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था और विकास की गाड़ी बढ़ाने में भारत का अहम योगदान रहा है। लेकिन, अब स्तिथि बदल चुकी है। सत्ता तालिबान के हाथों में चले जाने से भारत द्वारा निवेश किये गए तकरीबन 23000 करोड़ रूपए अब डूबते नज़र आ रहे हैं। अब आगे क्या होगा इस बारे में अभी कुछ कहना बहुत जल्दबाजी होगी।

आतंकी संगठन के तौर पर घोषित तालिबान से हाथ मिलाना भारत के लिए कड़ी चुनौती होगी। देखने वाली बात यह होगी कि ठप हुईं योजनाओं को चलने के लिए भारत तालिबान की तरफ नर्मी दिखता है या फिर आतंकवाद का विरोध करने की निति का पालन करते हुए कड़े कदम उठाता है।

विदेशी मामलों के जानकार प्रोफेसर शिरीन कुरील कहते हैं कि जब तक अफगानिस्तान में सत्ता संवैधानिक तरीकों से चुनाव के माध्यम से नहीं चुनकर आएगी तब तक दुनिया में लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले लिए मुल्कों के लिए बड़ी चुनौतियां आनी तय हैं। ऐसे में अब भारत के पास अपने 23000 करोड़ों रुपये के फंसे हुए प्रोजेक्ट पर कोई भी बात आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले इस बात का इंतजार करना होगा कि अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार बने। यदि ऐसा नहीं होता है तो भारत द्वारा निवेश किया गया सारा धन दुब जाएगा।

LIVE TV