इस गृह पर पहुंचना इंसान की कल्पना से परे, पृथ्वी के बेहद नजदीक फिर भी ‘टेक्नोलॉजी’ फेल!

नामुमकिननई दिल्ली अपनी सोचने, समझने और सीखने की क्षमता के कारण मानव ने लगभग हर असंभव काम को पूरा किया है। हम इंसानों के लिए ऐसे कुछ ही चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बचे होंगे जिन्हें पूरा करना अभी बाकि है। इन्ही में से कुछ लक्ष्य ऐसे हैं जिन्हें पार पाने के लिए हर मानव जूझने को तैयार रहता है। लेकिन हाल ही में हुए शोध में वैज्ञनिकों ने दावा किया है कि मानव की क्षमता के परे एक ऐसा कार्य ऐसा भी है, जिसे किसी भी तरह से पूरा कर पाना नामुमकिन है।

इंसानों के लिए नामुमकिन!

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बता दें कि नासा ने सूर्य के करीब पहुंचने की घोषणा की हैं। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नासा ने सूरज के सबसे पास मौजूद ग्रह शुक्र पर इंसानों के लिए पहुंचने को नामुमकिन करार दिया है। नासा ने इसके पीछे जो दलील दी है वो भी काफी हैरान करने वाली है।

शुक्र पर पहुंचने के लिए सबसे पहले स्पेश शटल द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 100 दिन का सफर तय करना होगा। इसके बाद ग्रह के सल्फर डाइऑक्साइड के जहरीले मिश्रण से बने बादलों के बीच शटल को लैंड करवाना होगा। ऐसा करने के बाद शुक्र ग्रह के आतंरिक वातावरण में 354 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं से भी बचना होगा।

अगर कोई ऐसा करने में सफल भी हो गया तो वो… शुक्र पर होने वाली सल्फ्यूरिक एसिड की वर्षा से कैसे बचेगा? क्योंकि ये बारिश तो सब कुछ गलाकर ख़ाक कर देगी।

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खतरा अभी टला नहीं है शुक्र पर तेज हवाओं और एसिड रेन के अलावा 315 डिग्री सेल्सियस का तापमान होता हैं, जबकि हमारी पृथ्वी पर तो सिर्फ 40 डिग्री ही होता हैं।

इसके अलावा शुक्र पर बादल 90 प्रतिशत सूर्य की रौशनी को परवर्तित कर देते हैं, जिस वजह से यहां पर सिर्फ 10 प्रतिशत रौशनी होती हैं। इस कारण शुक्र पर हर समय घनघोर अंधेरा छाया रहता है।

इतना ही नहीं यहां का जमीनी तापमान हर समय इसके वातावरण से दोगुना बना रहता है।

इसी आधार पर वैज्ञनिकों ने इंसानों के लिए शुक्र पर पहुंच पाने को नामुमकिन करार दिया है।

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