हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच करेगी सुनवाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक और बहुविवाह के विषय पर सुनवाई होनी है। ऐसे में कोर्ट इस मुद्दे पर चर्चा करेगा कि निकाह हलाला और बहुविवाह असंवैधानिक है या नहीं। इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी आदेश जारी करते हुए अपना पक्ष रखने को कहा है।

हलाला और बहुविवाह

मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक जैसी प्रथा से पीड़ित महिलाओं ने देश की सबसे बड़ी अदालत सर्वोच्च न्यायालय में अपने इंसाफ की गुहार लगाते हुए कोर्ट से मांग की है कि उनके साथ न्याय किया जाए।

इसके लिए कोर्ट ने सरकार और मुस्लिम पक्षकारों के बीच कानूनी संवाद स्थापित करने के लिए कोर्ट में अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।

बता दें कि दिल्ली में जसोला विहार की रहने वाली समीना बेगम ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की है कि मुस्लिम पर्नसल लॉ की एक्ट 1937 की धारा-2 निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है। और यह संविधान के अनुच्छेद-14,15 और 21 का उल्लंघन करता है। इसलिए इसको असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया जाए।

समीना ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि वह खुद एक पीड़ित महिला हैं। उनके पति ने शादी के बाद उन्हें प्रताड़ित किया और दो बच्चे होने के बाद पत्र के माध्यम से उन्हें तलाक दे दिया।

उसके बाद जब समीना ने फिर से दूसरी शादी की तो दूसरे पति ने भी उनको आखिरकार दर्द ही दिया।

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वहीं तीन तलाक के दर्द का दंश झेल रही नफीसा खान का आरोप है कि उनका निकाह 5 जून 2008 को हुआ था। वह शादी के बाद अपने ससुराल में रहती थी। उनके दो बच्चे भी हैं। इसके बाद जब ससुराल पक्ष के तरफ से दहेज की मांग हुई तो वह नहीं दे सकी। जिसके बाद उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा और उनके चरित्र पर सवाल उठने लगा तो उनके पति ने तलाक के बिना ही दूसरी शादी कर ली।

ऐसे में नफीसा ने भी कोर्ट से मांग की है कि निकाह हलाला करने वालों के खिलाफ रेप का केस दर्ज होना चाहिए और उनको कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए। साथ ही बहुविवाह करने वालों के खिलाफ भी आईपीसी की धारा-494 के तहत केस दर्ज होना चहिए।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक बार में तीन तलाक देने की प्रक्रिया को गलत ठहराया था। तब कोर्ट ने कहा था कि तीन तलाक अवैध, असंवैधानिक और अमान्य है।

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