GST ने उड़ाई भाजपा की नींद, सत्ता से बेदखल हुए तीन प्रधानमंत्री, अब मोदी की बारी!

नई दिल्ली: इतिहास उठा कर देखा जाए तो अनेको ऐसे फैसले मिलते हैं जिनके दांव जनता के बीच में बराबर नही बैठे लिहाजा सत्ताधारी पार्टी को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया. इमरजेंसी के दौर में सशक्त बहुमत वाली इंदिरा गांधी सरकार की जनता के बीच में जमानत तक जब्त हो गई थी. लगातार 10 सालों तक सरकार चलाने वाली कांग्रेस गठ्बन्धन (UPA) की सरकार जब गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के बीच में चुनाव के लिए उतरी तो जनता के प्रति जवाबदेही तय नही कर पाई लिहाजा भारी बहुमत के साथ जनता ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में BJP को देश का सिरमौर बनाया.मोदी सरकार

ऐसा ही एक फैसला जो मोदी सरकार ने लिया जिसकी जनता के बीच में कोई खास रूचि नही दिखाई पड़ती वो है गुड्स एंड सर्विसिज़ टैक्स (वस्तु एवं सेवा) कर जोकि पिछले साल 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था. लागू होने से पहले ही यह टैक्‍स काफी विवादों में रहा है. वहीं यह टैक्‍स प्रणाली मलेश‍िया में 2015 से ही लागू है. अब बुधवार को मलेशिया में हुए चुनाव में उस प्रधानमंत्री को सत्‍ता गंवानी पड़ी है, जिसने जीएसटी लागू करवाया था. वहीं इससे पहले कनाडा में जीएसटी लागू करवाने वाली सरकार के हाथ से सत्‍ता चली गई थी.

यह भी पढ़ें: जीवन के 104 बसंत देखे, अब जिन्दगी को अलविदा कहने स्विटज़रलैंड रवाना हुआ ये शख्स

मलेशिया में हुए आम चुनाव में घोटाले के आरोपों से घिरे प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक का मुकाबला 92 वर्षीय नेता महातिर मुहम्मद से था. बुधवार को आए नतीजों में महातिर मोहम्मद ने आम चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की है. प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने ही अपने शासन में 1 अप्रैल 2015 से मलेशिया में जीएसटी लागू की थी. कुछ समय पहले अपने एक इंटरव्‍यू में प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने जीएसटी लागू करने के फैसले को सबसे कठिन फैसला बताया था. उनके अनुसार उन्‍हें पता था कि जीएसटी लागू होने के बाद कई सामानों और सेवाओं के दाम में बढ़ोतरी होगी, लेकिन देशहित में यह निर्णय जरूरी था.

92 साल के महातिर ने रज्‍जाक की पार्टी बैरिसन नेशनल (बीएन) गठबंधन को चुनावों में करारी शिकस्त दी है. महातिर ने न सिर्फ रज्‍जाक पर लगे भ्रष्‍टाचार के आरोपों को मुद्दा बनाया था, बल्‍कि उन्‍होंने सत्‍ता हाथ में आने पर जीएसटी हटाने का वादा भी किया था.

ऐसे में इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि मलेशिया की जनता ने जीएसटी हटाने के लिए महातिर को सत्‍ता की चाभी सौंपी है. महातिर ने मलेशिया में चीन के निवेश पर भी दोबारा नजर डालने की घोषणा की थी.

यह भी पढ़ें: PWD घोटाला: आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी, 10 करोड़ की हेराफेरी में केजरीवाल के रिश्तेदार गिरफ्तार

गौरतलब है कि मोदी सरकार के दावे के अनुसार जीएसटी के जरिए एक देश-एक टैक्स की जो व्यवस्था लागू हुई है, उससे भारत में व्यापार करना आसान हुआ है, टैक्स चोरी रुकी है, कर प्रक्रिया आसान हुई. मोदी सरकार के अनुसार इससे आने वाले दिनों में सरकारी राजस्व में भी काफी बढ़ोतरी देखी जाएगी, जिससे जीडीपी और तेजी से बढ़ेगी. बीजेपी जीएसटी को 2019 की चुनावी जंग के लिए एक बड़ा हथियार मान रही है. हालांकि मलेशिया के चुनावी नतीजों को देखते हुए ये बड़ा दांव बीजेपी के लिए उल्टा भी पड़ सकता है.

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया है कि यदि 2019 में केन्द्र की सत्ता में कांग्रेस वापसी करती है तो वह जीएसटी को दुरुस्त करने के लिए कड़े फैसले ले सकती है. राहुल के अनुसार कांग्रेस सिर्फ सिंगल टियर में जीएसटी लागू करना चाहती है. यानी या तो 18 प्रतिशत टैक्‍स लगे या फिर आम आदमी के जरूरत की ज्यादातर उत्पादों पर जीरो टैक्‍स लगे.

आकड़े पक्ष में नहीं-

ऑस्ट्रेलिया में, जॉन हॉवर्ड सरकार ने जीएसटी को लागू करने के तुरंत बाद 1998 में चुनाव में बड़ी मुश्किल से वापसी की. जीएसटी लागू करने वाले अधिकतर देशों को बहुत ज्यादा महंगाई का सामना करना पड़ा. सिंगापुर ने भी 1994 में जब जीएसटी लागू किया तो वहां महंगाई काफी बढ़ी थी.

यह भी पढ़ें: पूर्व मंत्री तेजप्रताप व ऐश्वर्या की शादी की रस्में शुरू, लालू का इंतजार

कनाडा की प्रगतिशील कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता, प्रधानमंत्री किम कैंपबेल को 1993 के राष्ट्रीय चुनाव में करारी हार देखनी पड़ी थी क्योंकि उनकी सरकार ने जीएसटी को लागू करने के बाद अपनी लोकप्रियता खो दी थी. लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं ने कराधान कानून को खारिज कर दिया था जिसके बाद जीन शिरेटीन के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने सदन में एक मजबूत बहुमत प्राप्त किया और कनाडा की अगली सरकार का गठन किया.

ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार के ऊपर उनकी नीतियाँ हावी हो सकती हैं जिसकी जवाबदेही जनता तय करेगी. वैसे भी विपक्ष की हालत देखते हुए मालूम पड़ता है कि मुद्दों की तलाश करने में ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नही पड़ेगी बल्कि जनता के ऐसे कई अहम मुद्दे हैं जिनपर विपक्ष मौका तलाश सकता है.

LIVE TV