
उत्तर प्रदेश विधानसभा जल्द ही दुनिया के सबसे उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित निगरानी सिस्टम से लैस होने वाली है, जो देश की पहली ऐसी विधानसभा होगी। इस सिस्टम में अत्याधुनिक चेहरा पहचान (फेशियल रिकग्निशन) कैमरे, क्राउड एनालिटिक्स, और ब्लैकलिस्ट अलर्ट तकनीक शामिल होगी।

यह सिस्टम विधायकों की गतिविधियों, जैसे सदन में उपस्थिति, समय, और भागीदारी, को रिकॉर्ड करेगा और स्वचालित रूप से रिपोर्ट तैयार करेगा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस पहल की घोषणा बजट सत्र में की थी, और इसे शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर 2025) तक लागू करने की योजना है।
मुख्य विशेषताएं
- उन्नत चेहरा पहचान तकनीक:
- कैमरे भीड़ में एक-एक चेहरा पहचानकर नाम, समय, तारीख, और स्थान के साथ रिकॉर्ड करेंगे।
- छिपे, अधखुले, या बदले हुए चेहरों (जैसे दाढ़ी, मूंछ, चश्मा, या हेयरस्टाइल में बदलाव) को भी डीप लर्निंग के जरिए पहचानने की क्षमता।
- काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में दर्ज व्यक्तियों को तुरंत पहचानकर अलर्ट जनरेट करने की सुविधा।
- क्राउड एनालिटिक्स:
- सॉफ्टवेयर भीड़ में व्यक्तियों की गतिविधियों का विश्लेषण करेगा, जिससे विधानसभा परिसर में सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- वीडियो, फोटो, और आवाज रिकॉर्डिंग के साथ डेटा संग्रह।
- विधायकों का ब्योरा:
- सभी विधायकों का डेटा (नाम, लिंग, लोकेशन, आदि) डीप लर्निंग डेटाबेस में दर्ज होगा।
- सिस्टम विधायकों की उपस्थिति, सदन में बिताए समय, और विभिन्न नियमों के तहत उनकी भागीदारी (जैसे प्रश्न, चर्चा) को ट्रैक करेगा।
- 42 डिवाइस और एकीकरण:
- सिस्टम में करीब 42 AI-सक्षम डिवाइस होंगे, जो विधानसभा मंडप में पहले से स्थापित ऑडियो-वीडियो सिस्टम के साथ तालमेल बनाएंगे।
- ठेकेदार कंपनी को मौजूदा उपकरणों के साथ सामंजस्य का प्रमाण पत्र देना होगा।
कार्यान्वयन और समयसीमा
- ई-टेंडर: विधानसभा सचिवालय ने सिस्टम स्थापना के लिए ई-टेंडर जारी किया है।
- इंस्टॉलेशन: टेंडर फाइनल होने के 45 दिनों के भीतर कैमरे और सिस्टम स्थापित करना अनिवार्य है।
- लक्ष्य: शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर 2025) तक सिस्टम पूरी तरह कार्यरत होगा।
पारदर्शिता और प्रभाव
- पारदर्शिता: यह सिस्टम विधायकों की उपस्थिति और गतिविधियों का रियल-टाइम डेटा प्रदान करेगा, जिससे सदन की कार्यवाही में पारदर्शिता बढ़ेगी। भविष्य में यह डेटा सार्वजनिक डोमेन में भी उपलब्ध हो सकता है।
- विवाद: कुछ विधायकों और विश्लेषकों ने इस सिस्टम को निजता का उल्लंघन बताते हुए इसका विरोध किया है, खासकर चाय ब्रेक और वॉशरूम ब्रेक जैसी गतिविधियों की निगरानी को लेकर।
- उपयोगिता: सिस्टम न केवल सुरक्षा बढ़ाएगा, बल्कि विधायकों के प्रदर्शन का डेटा संकलन कर उनके कार्यों का मूल्यांकन भी आसान करेगा।
पिछली पहल और संदर्भ
- यूपी विधानसभा पहले से ही डिजिटल और तकनीकी सुधारों में अग्रणी रही है। हाल ही में लोकसभा ने भी AI-आधारित मल्टीमीडिया डिवाइस और स्पीच-टू-टेक्स्ट ट्रांसक्रिप्शन सिस्टम लागू किया है।
- विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि यह सिस्टम “सर्वश्रेष्ठ विधायक” चुनने में भी मदद करेगा।
यूपी विधानसभा का AI निगरानी सिस्टम न केवल सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि विधायी कार्यवाही को डिजिटल युग में ले जाएगा। हालांकि, निजता को लेकर उठ रहे सवालों के कारण यह सिस्टम विवादों का केंद्र भी बन सकता है। शीतकालीन सत्र तक इस सिस्टम के लागू होने से यूपी विधानसभा देश की सबसे आधुनिक विधानसभाओं में शुमार हो जाएगी।