माता-पिता से मिली शिक्षा ने दिलाया नाम, गूगल ने दिया डूडल

मुंबई। गूगल ने साहित्यकार और सोशल एक्‍टिविस्‍ट महाश्वेता देवी का डूडल बनाकर सम्‍मान दिया है। 14 जनवरी 1926 को ढ़ाका में जन्‍मीं महाश्वेता देवी का आज 92वां जन्‍मदिन है।

महाश्वेता देवी

महाश्वेता देवी को लेखनी की कला उनके मां बाप से धरोहर के तौर पर मिली है। वह बहुत ही क्रिएटिव परिवार से थीं। उनके पिता मनीष घटक लोकप्रिय कवि और उपन्यासकार थे। वहीं माता धारित्री देवी भी समाज सेविका एवं कवियित्री थीं।

इतना ही नहीं उनका फेमस डायरेक्‍टर ऋतविक घटक से भी गहरा रिश्‍ता था। ऋतविक उनके चाचा थे। देश के पर्टीशन से पहले वह अपने परिवार संग ढ़ाका में रहती थीं। पार्टीशन के बाद उनका पूरा परिवार पश्चिम बंगाल में शिफ्ट हो गया था।

उन्‍होंने अपनी आगे की पढ़ाई शांति निकेतन और विश्वभारती विश्वविद्यालय से की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्‍होंने साल 1964 में बिजॉयगढ़ कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। उससे पहले से ही उन्‍होंने बंगाल के आदिवासी समाज और खासकर दलित स्त्रियों के लिए काम करना शुरू कर दिया था।

साल 1956 में उनके द्वारा लिखित इतिहास ‘झांसी की रानी’ पब्‍लिश हुआ था। उसके दो और उपन्यास ‘नटी’ और ‘जली थी अग्निशिखा’ छपे थे। इन दोनों ही किताबों का संबंध 1857 के संग्राम से है।

यह भी पढ़ें: मकर संक्रांति पर्व सांस्कृतिक एकता का प्रतीक : सीएम योगी

उन्‍होंने साल 1962 में असीत गुप्त से शादी की थी। हालांकि ये रिश्‍ता ज्‍यादा दिनों तक बरकरार नहीं रहा पाया और 1975 में दोनों अलग हो गए। उस समय तक वह पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के आदिवासियों के बीच एक सोशल वर्कर की भूमिका में उतर चुकी थीं।

उन्‍होंने तकरीबन 250 उपन्‍यास लिखे थे। इनमें से कई के तमाम भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद किए जा चुके हैं।

यह भी पढ़ें: यूपी के इन दो गांवों में अभी भी ढिबरी युग, सीएम योगी ज़रा ‘प्रकाश डालें’

उनकी रचनाओं में से ‘अरण्य का अधिकार’, ‘शालगिरह की पुकार पर’, ‘टेरोडेक्टिल’, ‘चोट्टिमुंडा और उसका तीर’, ‘अग्निगर्भ’, ‘हजार चौरासी की मां’, ‘मास्टर साब’, ‘श्री श्री गणेश महिमा’, ‘तारार आंधार’, ‘आंधार माणिक’, ‘नील छवि’ आदि कुछ फेमस उपन्यास हैं।

उन्होंने कई कहानियों भी लिखी थी। उनमें रुदाली, बाढ़, शिकार, बेहुला, द्रौपदी आदि चर्चित रही हैं। इन सबके साथ-साथ उन्होंने अन्य विधाओं में भी लिखा था।

उन्‍हें ‘अरण्येर अधिकार’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जा चुका है। उन्हें साल 1986 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। साल 1996 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और रमन मैगसेसे पुरस्कार हदया गया था। 2006 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

LIVE TV