रजिस्ट्रार की बदौलत जज बन गई यह लड़की, मामला खुला तो उड़े सबके होश

लोकतंत्र के चार स्तंभोंनई दिल्ली। लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक है न्यायपालिका, जो कि देश के हर एक तबके को न्याय दिलाने के उद्देश्य से बनाई गई। लेकिन जब न्यायालय में बैठा जज भी कानून की गहरी पकड़ रखने में नाकाबिल हो तो ऐसे में लोगों को न्याय कैसे मिल पाएगा। बता दें एचसीएस जैसी बड़ी परीक्षा में भी रैकेट की सेंधमारी का बड़ा खुलासा हुआ है।

इस रैकेट का संचालन परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी उठाने वाले रजिस्ट्रार ही जब करने लगें तो फिर इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा। वहीं सिविल सर्विसेस ज्यूडिशियल ब्रांच पेपर लीक मामले में पुलिस ने टॉपर रही सुनीता को दिल्ली के नजफगढ़ से अरेस्ट कर लिया। कोर्ट ने उसे 3 दिन की रिमांड पर भेजा है।

रैकेट ने पेपर लीक करने के साथ-साथ उसे डेढ़ करोड़ में अभ्यर्थियों को बेचा। सुनीता को पहले ही प्रश्नपत्र मिल गया तो अच्छे से तैयारी कर वह टॉपर बन गईं।

वहीं अभ्यर्थियों की शिकायत पर संदेह के घेरे में आई इस परीक्षा को पहले ही हरियाणा हाईकोर्ट रद्द कर चुका है।

ऑडियो रिकॉर्डिंग से हुआ भंडाफोड़

पिंजौर की वकील सुमन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि परीक्षा का पेपर डेढ़ करोड़ में बिका है। उन्होंने बताया कि उसने परीक्षा में बैठने वाली सुशीला नाम की एक लड़की से लेक्चर की ऑडियो क्लिप मंगाई थी। लेकिन सुशीला ने गलती से सुनीता से अपनी बातचीत की ऑडियो क्लिप सेंड कर दी। जिसमें पेपर में आने वाले प्रश्नों पर हुई बातचीत हुई थी।

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बता दें सुशीला वही लड़की है, जिसने जज एग्जाम में रिजर्व कैटेगरी में टॉप किया था।

वहीं सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने लेवल पर जांच शुरू की, जिसमें सामने आया कि हाईकोर्ट के ही रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉक्टर बलविंदर शर्मा के मोबाइल फोन से सुनीता के फोन पर सालभर में 760 बार कॉन्टैक्ट हुआ था। जोकि बाद में टॉपर रही।

कोर्ट में पुलिस और सुनीता के बीच बहस

सुनीता बिना किसी वकील के कोर्ट में खुद की पैरवी करती नज़र आई। पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद सुनीता की पेशी की तो बात कही तो उन्होंने कहा कि पुलिस झूठ बोल रही है। सुनीता ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि फर्जी ढंग से मेडिकल कराकर उसे कोर्ट में पेश किया गया।

उन्होंने कहा कि मेरी पीठ की हड्डी में दिक्कत के चलते डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए कहा था। लेकिन इस मामले की वजह से मैं अपना ऑपरेशन भी नहीं करवा पा रही। सुनीता के मुताबिक, ‘मैं तीन-चार घंटे से ज्यादा बैठ नहीं रह सकती।

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वहीं पुलिस द्वारा मांगे गए रिमांड पर कोर्ट ने कहा-रिमांड क्यों चाहिए। जिस पर पुलिस ने कहा ताकि मोबाइल और हार्ड डिस्क बरामद हो सके।

इस पर सुनीता ने कहा कि मैं तो काफी समय पहले ही मोबाइल फोन तोड़ चुकी हूं। मुझे गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया।

जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पुलिस को तीन दिन की रिमांड देते हुए कहा कि अगर सुनीता को इलाज की जरूरत हो तो उसे तुरंत मुहैया कराया जाए।

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