संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से, इतने नए विधेयक होंगे पेश; मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा, हंगामे के आसार

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें 21 कार्य दिवस होंगे। इस दौरान 12-18 अगस्त तक स्वतंत्रता दिवस के कारण अवकाश रहेगा। सरकार इस सत्र में आठ नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जिनमें मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने से संबंधित एक प्रस्ताव भी शामिल है।

मणिपुर में 13 फरवरी 2025 को लागू राष्ट्रपति शासन की समयसीमा 13 अगस्त 2025 को समाप्त हो रही है, और इसके विस्तार के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक है।

प्रमुख विधेयक
संसद के इस सत्र में सरकार निम्नलिखित विधेयकों को पेश और पारित करने की योजना बना रही है:

  1. मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025: मणिपुर की जीएसटी व्यवस्था को केंद्रीय कानून के साथ संरेखित करने के लिए।
  2. जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025: जन विश्वास को बढ़ाने के लिए प्रावधानों में संशोधन।
  3. भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2025: IIM के प्रशासन में सुधार के लिए।
  4. कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025: कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए।
  5. भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक, 2025: भू-विरासत स्थलों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए।
  6. खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक, 2025: महत्वपूर्ण खनिजों की रिकवरी और गहरे खनन के लिए प्रावधान।
  7. राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025: खेल प्रशासन को मजबूत करने के लिए।
  8. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025: विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (WADA) के मानकों के अनुरूप नियमों को संशोधित करने के लिए।

इसके अलावा, गोवा विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक, 2024, मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025, और आयकर विधेयक, 2025 को भी पारित किए जाने की उम्मीद है। आयकर विधेयक, 2025 को बजट सत्र में पेश किया गया था और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा इसकी समीक्षा की जा रही है, जिसकी रिपोर्ट 16 जुलाई 2025 को स्वीकार की गई। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 को सरल बनाने और ‘टैक्स ईयर’ की अवधारणा लागू करने का लक्ष्य रखता है, जो 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगा।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में 13 फरवरी 2025 को लागू राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने के लिए सरकार संसद की मंजूरी लेगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356(1) के तहत, राष्ट्रपति शासन को हर छह महीने में संसद की मंजूरी लेनी होती है, और इसे तीन साल से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। इस मुद्दे पर विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल, तीखे सवाल उठा सकता है। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और मणिपुर हिंसा पर भी चर्चा की मांग की है, जिसे सरकार ने विशेष सत्र के लिए खारिज कर दिया था।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025, जो बजट सत्र में पारित हो चुका है, इस सत्र में चर्चा का विषय नहीं होगा। इसे लोकसभा ने 3 अप्रैल 2025 को 288-232 मतों से और राज्यसभा ने 4 अप्रैल 2025 को 128-95 मतों से पारित किया था। इस विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 6 अप्रैल 2025 को मंजूरी दे दी थी। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, समावेशिता, और महिलाओं व पिछड़े मुस्लिम समुदायों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। हालांकि, विपक्ष ने इसे असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया था।

बजट सत्र की उत्पादकता
पिछले बजट सत्र (31 जनवरी से 4 अप्रैल 2025) में लोकसभा की उत्पादकता केवल 18% रही, जबकि राज्यसभा ने 119% की प्रभावशाली उत्पादकता दर्ज की। इस दौरान 16 विधेयक पारित किए गए, जिनमें वक्फ (संशोधन) विधेयक और。首先

संसद में हंगामे की संभावना
संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि मानसून सत्र में सभी पक्षों को चर्चा का पूरा मौका दिया जाएगा। हालांकि, विपक्ष के आक्रामक रुख और मणिपुर, ऑपरेशन सिंदूर, और बिहार में मतदाता सूची संशोधन जैसे मुद्दों पर तीखी बहस की उम्मीद है।

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