
रिपोर्ट- पुलकित शुक्ला
हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन शारीरिक रूप से विक्षिप्त विकलांग लोगों का नाम विकलांग से बदल कर दिव्यांग रखा था और प्रधानमंत्री ने जिन लोगों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट की थी। वहीं दिव्यांग जन पिछले लंबे समय से उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा अपनी अनदेखी किए जाने के विरोध में और अपनी मांग ना मांगे जाने के विरोध में आज सड़कों पर उतरे और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
दिव्यांग जनों का आरोप है कि अभी तक राज्य सरकार द्वारा दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 लागू नहीं किया गया है लगातार राज्य सरकार द्वारा दिव्यांग जनों की उपेक्षा की जा रही है| दिव्यांगजनो ने अपने लिए अलग से दिव्यांग आयोग के गठन की मांग की है मांगे ना माने जाने पर दिव्यांगजन उग्र आंदोलन और प्रदर्शन की बात कर रहे हैं।
राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे यह लोग और कोई नहीं बल्कि वह दिव्यांगजन है जिन्होंने पढ़ाई लिखाई कर डिग्री हासिल की हुई है मगर इसे विडंबना ही कहेंगे कि यह दिव्यांग जन आज भी राज्य सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। दिव्यांग जनों का आरोप है कि आज भी इन को मिलने वाली सुविधाएं इन्हें नहीं मिल रही है सरकार पेंशन के नाम पर 1000 देकर खानापूर्ति कर रही है। इनकी मांग है कि सरकार इनको इनकी योग्यता के अनुसार कार्य उपलब्ध कराएं और पेंशन उन दिव्यांग लोगों को दी जानी चाहिए जो लोग कोई भी कार्य करने में सक्षम ना हो यह सरकार द्वारा चलित अन्य आयोग की तर्ज़ पर अपने लिए अलग से दिव्यांग आयोग बनाने की मांग कर रहे है।
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आज राज्य के 7 संगठनों को इक्ट्ठा कर एक महा गठबंधन तैयार किया गया है उत्तराखंड में दिव्यांग जनों को रोजगार नहीं मिल रहा है दिव्यांगजनो को इनकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जानी चाहिए। इनके द्वारा आयोग का गठन की मांग इसलिय की जा रही है ताकि यह लोग भी अपनी परेशानी आयोग को बता सके राज्य के मुख्यमंत्री को इन दिव्यांग लोगों से मिलने के लिए तैयार नही है एक ज्ञापन भी मांगो को लेकर सरकार को भेजा जाएगा और मांगे नहीं माने जाने पर आंदोलन करेंगे और धरना प्रदर्शन करेंगे सरकार को इनकी बाते मांगनी चाहिए।