गरीबी से तंग आकर युवक ने की इच्छामृत्यु की मांग, प्रशासन में मचा हड़कंप

दर्पण शर्मा

हापुड़। राजधानी दिल्ली के पास बसे एनसीआर के जनपद हापुड़ में मुफलिसी, दिव्यांग और हार्ट की बीमारी से परेशान होकर एक 32 वर्षीय युवक ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को लेटर लिख इच्छा मृत्यु की मांग की है। राष्ट्रपति के ऑफिस से आये लेटर के बाद अब अधिकारियो में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन अभी तक कोई भी अधिकारी दिव्यांग युवक से मिलने नहीं पहुँचा और न ही किसी प्रकार से युवक की कोई मदद की गयी है।

इच्छामृत्यु

वहीँ अधिकारी अब इस मामले में मीडिया के कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है।

दरअसल, मामला जिला मुख्यालय के 5 किलोमीटर दूर बसे गांव ततारपुर का है। यहां प्रजापति समाज के बाबूराम नाम अपने 6 बच्चों सतवीर, अनीता, सरिता, सोनी, पूजा और प्रदीप के साथ रहता है, जिसका सबसे बड़ा बेटा सतवीर दिव्यांग और हार्ट की बीमार से परेशान है।

32 वर्षीय सतवीर के घर की आर्थिक स्थिति भी बहुत कमजोर है, जिस कारण सतवीर ने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी और दिव्यांग होने के बाद भी मेहनत मजदूरी करने लगा।

सतवीर के माता-पिता मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है। जब सतवीर ने देखा की उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है और माता पिता समेत परिवार के लोग भी बीमार रहते हैं, और उसकी भी दवाइयों खर्चा नहीं चल पा रहा है, तो उसने अधिकारियों और नेताओं के पास जाकर मदद की गुहार लगाई।

लेकिन किसी ने भी उस पीड़ित दिव्यांग मदद नहीं की। जिससे परेशान होकर दिव्यांग और हार्ट की बीमारी से परेशान युवक सतवीर ने 18-08-2017 को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।

अब जब वह लेटर हापुड़ के अधिकारियों के पास पहुंचा, तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। और कुछ छोटे अधिकारी पीड़ित सतवीर के घर पहुंचे और उसके पिता बाबूराम से ये लिखवाकर अपनी रिपोर्ट में लगा दिया की वह डिप्रेशन में रहता है।

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अधिकारियो ने दिव्यांग की कोई मदद करने की जिम्मेदारी नहीं समझी और मामले को रफा-दफा कर दिया।

वहीँ जब इस मामले में पीड़ित सतवीर के परिजनों से बात की गयी, तो उनका कहना था कि घर की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। घर का खर्चा भी नई चल पाता है। और सरकार व अधिकारियों से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। जिस कारण सतवीर ने इच्छा मृत्यु की मांग की है। लेकिन फिर भी कोई अधिकारी अभी तक मिलने नहीं आया है और ना ही कोई मदद मिली है।

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यूपी में मांगी जा रही इच्छा मृत्यु की मांग से तो एकबात तो साफ़तौर पर जाहिर हो रही है कि सरकार की योजनाओं से गरीब लोगों कोई राहत नहीं मिल रही है। लेकिन अब देखना ये होगा कि इच्छा मृत्यु की मांग करने वालों को सरकार से कोई मदद मिलती है या नहीं।

लेकन बड़ा सवाल ये उठता है कि आख़िरकार कब तक यूपी की जनता इच्छा मृत्यु की मांग करती रहेगी। कब तक जनता अधिकारियो और नेताओं से परेशान होकर इच्छा मृत्यु की मांग करती रहेगी।

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