बगावत के साथ पीएम मोदी को लड़ना होगा चुनाव, आसान नहीं गुजरात की डगर

विधानसभा चुनाव में कांग्रेसगांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जोर आजमाइश को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी भी कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है। इसीलिए एक के बाद एक ताबड़तोड़ रैलियां करने और तमाम तरह के विज्ञापनों के जरिए वो गुजरात के वोटरों को अपनी ओर बांधे रखना चाहती है। हांलाकि इन सबके बीच गुजरात में पाटीदार समाज भी इस बार के चुनाव में एक खास मुद्दा बनकर उभरा है और भाजपा ने भी शुक्रवार को अपनी पहली लिस्ट जारी करते हुए पाटीदारों के प्रति अपने प्रेम को झलका दिया था। भाजपा के ऐसा करने के बाद भी उसकी मुश्किलें कम होनें का नाम नहीं ले रही हैं।

जैसे ही किसी राज्य या लोकसभा का चुनाव करीब आता है वैसे पार्टी की ओर से टिकट न पाने वाले नेता बागी तेवर अपना लेते हैं। कुछ ऐसा ही भाजपा के साथ भी हुआ है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा शुक्रवार को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद पार्टी के भीतर से ही कुछ बगावती स्वर बुलंद होने लगे हैं। बात तो यहां तक बढ़ गई कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को हस्तक्षेप करना पड़ा और शुक्रवार शाम से ही पार्टी में इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया।

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गुजरात में जिन सीटों पर नेताओं द्वारा भाजपा को विरोध और बगावत का सामना करना पड़ा। उसमें अंकलेश्वर विधानसभा सीट शामिल है जहां टिकट पाने पर उम्मीदवार के भाई ने ही विरोध करना शुरू कर दिया। वहीं भरुच जिला पंचायत के सदस्य वल्लभ पटेल, दशरथ पुवार ने जिला भाजपा महामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा वड़ोदरा में भी दिनेश पटेल बागी हो रहे हैं। इसके साथ ही साथ वडोदरा जिला महामंत्री चैतन्य सिंह झाला के और पादरी जिला पंचायत के अलावा तहसील पंचायत के नेता कमलेश पटेल ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

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और तो और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए कुछ नेताओं ने भी पार्टी के प्रति रोष प्रकट किया है। बीजेपी ने इस बार के चुनाव में 70 में से मात्र चार महिलाओं को ही टिकट दिए हैं।

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