डूडल देकर गूगल ने किया वी.शांताराम को सम्मानित
मुंबई। गूगल महान हस्तीयों के खास दिन को याद रखने के मौके से कभी नहीं चूकता है। गूगल ने भारतीय सिनेमा जगत की महान हस्ती वी शांताराम का डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है। आज वी.शांताराम का 116वां जन्मदिन है। भले ही आज वी.शांताराम हूमारे बीच नहीं है लेकिन सिनेमा जगत में उनके योगदान को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है।
18 नवंबर 1901 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्में वी.शांताराम ने भारतीय सिनेमा जगत को बहुत कुछ दिया है। किसी भी महान हस्ती का जीवन हमेशा से फूलों से सजा हुआ नहीं रहता है। उनके जीवन में एक दौर ऐसा जरूर रहता है जब उन्हें स्ट्रगल का सामना करना पउ़ता है। ऐसा ही वी.शांताराम के साथ भी हुआ था।
वी.शांताराम को कांटो से भरे समय का तब सामना करना पड़ा जब पैसों की कमी की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी।
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उनके साथ ऐसा हुआ क्योंकि तकदीर ने उनके लिए कुद और ही सोच रखा था। उन्हें तो पढ़ाई से हटकर सिनेमा जगत को कुछ नया देना था। बचपन से ही वी.शांताराम का लगाव फिल्मों की ओर था। उनके इस लगाव ने उन्हें एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बना दिया।
वी.शांताराम साल 1920 में बाबू राव पेंटर की महाराष्ट्र फिल्म कंपनी से जुड़ गए थे। साइलेंट फिल्म सुरेख हरण से उन्होंने बतौर एक्टर डेब्यू किया।
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इसके बाद साल 1929 में प्रभात कपंनी फिल्मस की स्थापना की और गोपाल कृष्णा, खूनी खंजर, रानी साहिबा और उदयकाल जैसी फिल्में डायरेक्ट की। अपने करियर के दौरान उन्होंने तकरीबन 50 फिल्मों फिल्में डायरेक्ट कीं।
उस दौर में वह फिल्मों में नए प्रयोग के लिए मशहूर थे। हिंदी फिल्मों में पहली बार मूविंग, शॉट्स और ट्रॉली का इस्तेमाल करने का क्रेडिट भी वी.शांताराम को जाता है।