बीजेपी के ‘मिशन 2019’ को बड़ा झटका, शिवसेना ने की नींद हराम करने वाली बात

नई दिल्ली: उपचुनावों में बीजेपी की अप्रत्याशित हार के बाद विरोधी सुर उठने तेज हो गए हैं. बीजेपी के धुर-विरोधी दलों ने जहाँ इसे मोदी लहर की समाप्ति के तौर पर देखा वहीं बीजेपी से गठबन्धन में सरकार चलाने वाले दल भी पार्टी को सियासत के दांव पेंच सीखाने में जुट गए हैं. उपचुनावों में बीजेपी की फजीहत से विपक्षियों को इसलिए भी मौका मिल गया क्योंकि इन सीटों में से एक उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के गृह नगर फूलपुर की थी तो दूसरी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभेद्य किला गोरखपुर था.बीजेपी

केशव प्रसाद मौर्या को पार्टी ओबीसी चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही थी तो योगी को कट्टर हिंदुत्व के चेहरे के रूप में प्रदेश की कमान सौंपी गई थी लेकिन विधानसभा चुनावों के मात्र एक साल बाद ही ऐसा बगावती जनादेश बीजेपी की नींद उड़ाने वाला हैं जिसको लेकर विरोधियों के साथ-साथ पार्टी में भी खलबली मच गई है.

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कांग्रेस के राजस्थान उपचुनाव जीतने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब कांग्रेस को केवल उपचुनाव लड़ना चाहिए. भाजपा को अहंकार और अपने सहयोगियों को त्यागने के कारण इस चुनाव में हार मिली है. कांग्रेस को भी इसी कारण हार का सामना करना पड़ा है.

वहीं, ममता बनर्जी ने कहा कि यह भाजपा के अंत की शुरुआत है. सामना में छपे संपादकीय में सुझाव दिया गया है कि हमें उन लोगों को स्वीकार करना चाहिए जिन्होंने भाजपा को नकार दिया है.

शिवसेना ने लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार को लेकर निशाना साधा है. अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने कहा कि 2019 में बीजेपी के पास 282 सीटें नहीं बचेंगी. बल्कि उनके पास 282 में से 100 सीटें बचाने में भी पसीने छूट जाएंगे.

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सामना में छपे लेख के मुताबिक, बीजेपी ने एक छोटे राज्य त्रिपुरा में जीत हासिल की और पूरी पार्टी जश्न में व्यस्त हो गई. बीजेपी का ये जश्न खत्म होता इससे पहले उत्तर प्रदेश में लोगों ने नकार दिया और परिणाम स्वरूप यूपी उपचुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. समाजवादी पार्टी ने मजबूत पकड़ के साथ बीजेपी से गोरखपुर और फूलपुर छीन लिया है.

उपचुनावों के परिणाम के बाद यह कहा जा सकता है कि लोगों की आंखों में ‘मोदी लहर’ का पानी सूख चुका है और वो अब स्पष्ट रूप से चीजों को देख सकते हैं. बीजेपी को इस बात का एहसास होना चाहिए कि वो रूस, कनाडा, अमेरिया या इजराइल में चुनाव नहीं लड़ रही. उन्हें अपने पैरों को भारत में जमाना चाहिए.

बीजेपी कह रही है कि उपचुनाव से देश के मूड की तुलना नहीं की जा सकती. लेकिन केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद हुए 10 लोकसभा उपचुनावों में से 9 में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है.

बीजेपी लोकसभा में 282 सीटों से 272 पर आ गई है. ऐसे में लग रहा है कि भाजपा को 2019 में 100 से 110 सीटों का नुकसान होगा तय है.

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