एक ऐसा जनपद जहां की स्वास्थ्य व्यवस्था चल रही भगवान भरोसे, आखिर कब खुलेगा ताला?

रिपोर्ट- अखिलेश्वर तिवारी

बलरामपुर। जनपद बलरामपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है। ऐसे में यदि जिला चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक व उनके अधीन लिपिक के बीच तनातनी चल रही हो। अथवा सीएमओ व सीएमएस के बीच सामंजस्य की कमी हो, तो फिर अच्छी व्यवस्था की कल्पना करना भी बेकार है।

अस्पताल

ताजा मामला जिला संयुक्त चिकित्सालय का है। जहां के बड़े बाबू अजय कुमार श्रीवास्तव बगैर किसी सूचना के मुख्य कार्यालय में ताला भर का खुद तो छुट्टी गए ही अपने साथ अन्य सहयोगियों को भी छुट्टी पर जाने के लिए कह दिया।

सीएमएस डॉ. राजेश कुमार गुप्ता की मानें, तो कई वर्षों से अस्पताल पर अपना एकाधिकार चलाने के लिए मशहूर लिपिक अजय कुमार श्रीवास्तव के अनाधिकृत गतिविधियों पर उनके द्वारा रोक लगा दी गई है, जिस से खफा होकर वह बराबर खड़यंत्र करते रहते हैं।

अजय कुमार श्रीवास्तव बहराइच जिले के पूर्व कांग्रेस विधायक मुकेश श्रीवास्तव के भाई हैं। और इनका परिवार एनआरएचएम घोटाले में मुख्य आरोपियों में से है। लिपिक अजय कुमार की पत्नी एनआरएचएम घोटाले के मामले में जेल भी जा चुकी और आज भी सीबीआई के रडार पर बने हुए हैं।

एक तरह से कहा जाए तो अपने दबंगई के बल पर अस्पताल में तमाम अनियमितताएं करने के लिए हमेशा सुर्खियों में रहे हैं।

सीएमएस डॉक्टर गुप्ता ने उनकी इन्हीं कारनामों पर रोक लगाने की कोशिश की, तो उन्होंने खड़यंत्र करना शुरू कर दिया।

हद तो तब हो गई जब उन्होंने बगैर आकाश लिए कार्यालय में ताला भरकर ऑफिस की चाबी लेकर घर चले गये। सीएमएस का कहना है कि यदि छुट्टी जाना भी है, तो कार्यालय की चाबी हॉस्पिटल में देकर जाना चाहिए था।

उन्होंने ऐसा नहीं किया जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है। अस्पताल में तमाम लोग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए परंतु कार्यालय में ताला भरा होने के कारण मायूस होकर वापस घर लौट गए।

इस पूरे मामले पर मुख्यचिकित्सा अधिकारी डॉक्टर घनश्याम सिंह का जवाब लिपिक की गलतियों पर पर्दा डालने जैसा प्रतीत होता है।

सीएमओ का कहना है कि सीएमएस तथा लिपिक के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा है। बाबू को छुट्टी की आवश्यकता पड़ी थी, तो उसने मुझे बता कर अवकाश पर चला गया। पर ताला बंद होने के सवाल पर उन्हें कोई वाजिब जवाब नहीं दिया।

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कहीं ना कहीं एक बाबू की दादागिरी के कारण एक ओर अस्पताल का सरकारी कामकाज प्रभावित हुआ। दूसरी ओर तमाम प्रमाण पत्र बनवाने वाले लोग मायूस होकर लौट गए।

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लिपिक अजय कुमार अपने रसूख के बल पर पूरे अस्पताल में अपना धाक जमाता रहा है। परंतु जब से  सीएमएस डा। राजेश गुप्ता की तैनाती हुई है। तभी से उनकी कारगुजारियों पर अंकुश लगने लगा है। उसी का नतीजा है कि सीएमएस तथा लिपिक के बीच नहीं बन पा रही है, जिसका खामियाजा अस्पताल में आने वाले मरीजों तथा उनके तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है।

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