भोजपुरी को बड़ी कामयाबी, मिला राजकीय भाषा का दर्जा

रांची: पूर्वांचल को भोजपुरी का गढ़ कहा जाता है. पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार झारखण्ड तक भोजपुरी भाषा की अपनी पैठ है. भाषा व्यक्तित्व को परिष्कृत करने का माध्यम होने के साथ-साथ व्यक्ति की प्राथमिक पहचान है जिसके लिए भोजपुरी समाज एक लम्बे अरसे से मांग करता आ रहा है. आठवीं अनुसूची में स्थान पाने की अटकलों के बीच भोजपुरी समाज के लिए बड़ी खुशखबरी आई है.रघुवर दास

बीच में ऐसी अटकलें भी आई थी जब लग रहा था कि आधिकारिक तौर पर भोजपुरी को राष्ट्रीय पहचान मिल जाएगी लेकिन ऐसा अभी तक हो न पाया. लेकिन अब जो खबर भोजपुरी समाज के करोड़ो लोगों को मिली है उससे उनके प्रयासों और संघर्षों से मिली मंजिल के तौर पर देखा जा सकता है.

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झारखंड सरकार ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में लंबे समय से अनेक समुदायों की चल रही मांग को पूरा करते हुए भोजपुरी, मैथिली, मगही एवं अंगिका को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दे दिया. मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया.

मंत्री परिषद की बैठक में मगही, भोजपुरी, मैथिली तथा अंगिका को झारखंड राज्य की द्वितीय भाषा घोषित करने के लिए बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 के प्रारूप को स्वीकृति दी गई.

इससे पूर्व झारखंड राज्य में उर्दू, संथाली, मुंडारी, हो समेत 12 भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है.

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