
उत्तर प्रदेश के रामपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान को लेकर फैले विवाद पर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान ने चुप्पी तोड़ी है। जेल से रिहा होने के बाद अपनी पहली प्रमुख टिप्पणी में पूर्व मंत्री ने इसे गंगा-जमुनी तहजीब को नष्ट करने की सोची-समझी साजिश करार दिया।
उन्होंने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मामला संवाद से सुलझाया जा सकता था, लेकिन जानबूझकर इसे भड़काने दिया गया। आजम ने इतिहास का हवाला देते हुए जोर दिया कि जंग के नतीजे हमेशा विनाशकारी होते हैं, और समाधान हमेशा बातचीत की मेज पर ही निकलता है।
आजम खान ने रामपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “अगर मैं इसे चिंगारी भी कहूं, तो सवाल यह है कि यह छोटी-सी बात इतनी बड़ी आग कैसे बन गई? जिला प्रशासन चाहता तो बातचीत से यह विवाद सुलझा सकता था। इतिहास गवाह है कि चाहे हालात कितने भी बिगड़ जाएं, समाधान आखिरकार बातचीत की मेज पर ही निकलता है। जरा जंग के नतीजे देखिए… ये तो सद्भाव बिगाड़ने की साजिश थी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई किसी से प्यार करता है, तो यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है, और इसे दबाने की कोशिश समाज को पीछे धकेलती है।
विवाद की पृष्ठभूमि: बरेली से रामपुर तक फैला तनाव
यह विवाद 26 सितंबर को बरेली से शुरू हुआ, जब अल्लाह हजरत दरगाह के बाहर इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान के समर्थकों ने ‘आई लव मोहम्मद’ के प्लेकार्ड लेकर विरोध प्रदर्शन किया। जुमे की नमाज के बाद भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। रामपुर समेत मुरादाबाद, सहारनपुर और अन्य जिलों में भी यह आंदोलन फैला, जहां बुलडोजर कार्रवाई और गिरफ्तारियां हुईं। सपा ने इसे ‘मुस्लिम उत्पीड़न’ बताया, जबकि भाजपा ने ‘शांति भंग’ का आरोप लगाया।
आजम खान की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई। एक्स पर एक यूजर ने लिखा, “आजम खान सही कह रहे हैं, प्रशासन ने चिंगारी को आग बनने दिया। भाईचारा ही हमारी ताकत है।” वहीं, कुछ ने सपा पर ‘वोटबैंक पॉलिटिक्स’ का आरोप लगाया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 8 अक्टूबर को रामपुर में आजम से मुलाकात की थी, जहां मुस्लिम वोटों को एकजुट करने पर चर्चा हुई।
राजनीतिक निहितार्थ: सपा की मुस्लिम रणनीति पर असर
आजम खान की यह बयानबाजी सपा के लिए दोहरी तलवार साबित हो रही है। एक ओर, यह मुस्लिम समुदाय में उनकी लोकप्रियता बहाल कर रही है, खासकर जेल से रिहाई के बाद। दूसरी ओर, भाजपा इसे ‘सांप्रदायिक उकसावा’ बताकर सपा को घेर रही है। महाराष्ट्र मंत्री नितेश राणे जैसे नेताओं ने पहले ही ऐसे प्रदर्शनों की निंदा की है। सपा प्रवक्ता ने कहा कि आजम का बयान ‘सद्भाव की अपील’ है, न कि विवाद।