सारे मुद्दों को दरकिनार कर कांग्रेस ने थामा ‘बाजपेयी’ का हाथ! कैसे दिलाएंगे न्याय

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने  मोदी सरकार पर मीडिया पर ‘दबाव डालने और भयभीत’ करने का आरोप लगाया, ताकि मीडिया सरकार के खिलाफ कुछ न लिख सके।

मल्लिकार्जुन खड़गे

खड़गे ने इसके लिए एक समाचार चैनल के दो कर्मचारियों का उदाहरण दिया, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों की सच्चाई का पता लगाने वाले कार्यक्रमों की वजह से नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया।

इन आरोपों को सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने हालांकि खारिज कर दिया और कहा कि उक्त समाचार चैनल द्वारा चलाया गया इस संबंध में पहला कार्यक्रम (समाचार) गलत था, लेकिन इसके लिए कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया। विपक्षी दलों की आदत है कि सभी चीजों का आरोप सरकार पर मढ़ा जाए।

खड़गे ने शून्य काल के दौरान लोकसभा में कहा, “बोलने का, लिखने का अधिकार दिया गया है। अनच्छेद 19 के अंतर्गत हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। लेकिन यह काफी खेदजनक है कि मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के कई प्रयास किए जा रहे हैं। खासकर तब, जब मीडिया सरकार के विरुद्ध जाती है या वास्तविकता बाहर लाती है, उन्हें डराने और कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।”

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खड़गे ने कहा, “मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। दो दिन पहले, एबीपी समाचार चैनल के दो वरिष्ठ कर्मचारियों को इस्तीफा देने को कहा गया। इसमें 14 वर्षो से काम कर रहे प्रबंध संपादक मिलिंद खांडेकर और एक एंकर शामिल है। एंकर ने केवल यह गलती की थी कि उसने रिपोर्टर को मोदी द्वारा ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहे गए बातों की सच्चाई जानने के लिए कहा। एक अन्य एंकर को छुट्टी पर जाने के लिए कहा गया है।”

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि मामला निजी चैनल से जुड़ा हुआ है और पूछा कि क्या उनके पास कोई तथ्य या आंकड़े हैं। सत्तापक्ष के सदस्यों ने खड़गे के बयान का विरोध किया।

खड़गे उस समाचार रिपोर्ट का हवाला दे रहे थे जिसमें छत्तीसगढ़ के कान्हारपुरी के सरपंच ने बताया था कि एक महिला किसान चंद्रमनी को मोदी से बात करने के दौरान नई दिल्ली के कृषि विभाग द्वारा सिखाई गई बातों को बोलने के लिए कहा गया था।

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मोदी ने 20 जून को देश के विभिन्न भागों के किसानों से संवाद किया था।

खड़गे ने कहा कि तीनों लोगों और चैनल पर भारी दबाव बनाया गया और अंत में प्रबंधन को दोनों कर्मचारियों को संस्थान से निकालना पड़ा। यह उन्हें शांत करने का प्रयास है।

राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल को डराने के एक और उदाहरण के बारे में बताते हुए खड़गे ने कहा, “सेंट्रल हॉल में भी, एक वरिष्ठ सांसद ने मीडिया को चुनौती दी थी कि अगर आप हमारी सोच के साथ आगे नहीं बढ़ेंगे तो हम आपके चैनल को बंद कर देंगे और उन्होंने ऐसा किया भी।”

कांग्रेस नेता ने कहा, “राष्ट्रीय टीवी चैनल को 24 घंटों के लिए बंद कर दिया गया था।”

उन्होंने कहा, “क्या बोलने की स्वतंत्रता नहीं है, हम कहां बात कर सकते हैं? हम केवल इसे आपके सामने रख रहे हैं। क्या आप चैनल बंद करना चाहते हैं, प्रेस पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं यह अच्छी बात नहीं है। जो इस तरह की विचारधारा को मान रहे हैं, वह गलत हैं। जो संविधान के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं, वह गलत हैं। यह मूलभूत अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास है, ऐसा नहीं होना चाहिए।”

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राठौर ने कांग्रेस नेता के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा, “हम देश में एक चलन देख रहे हैं, जब विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं मिलता है तो वे किसी भी चीज के लिए सरकार को दोषी ठहरा देते हैं।”

उन्होंने कहा, “जिस चैनल के बारे में खड़गेजी बोल रहे हैं, इस मुद्दे पर इसकी पहली स्टोरी गलत थी लेकिन सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया। चैनल फ्री डिश पर चलता है। फ्री डिश को अधिकतम टीआरपी मिलता है।”

मंत्री ने कहा, “अगर सरकार इसमें हस्तक्षेप करना चाहती तो, यह फ्री डिश के साथ किया जाता। सरकार का इससे कुछ लेना-देना नहीं है।”

राठौर ने यह भी कहा कि जिस चैनल की खड़गे बात कर रहे हैं उसकी टीआरपी गिर रही है क्योंकि लोग इसे देखना नहीं चाहते हैं।

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