‘एसिड अटैक’ में गंवाई थी जीने की आस, हमसफर ने बनाया जिन्दगी को खास…

लखनऊ: मोहब्बत के अनेको फसाने आप सुने होंगे. किसी से प्यार होने पर उस खुबसूरत एहसास को महसूस भी किया होगा. भारतीय प्यार का एहसास अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों से प्रभावित होता है जिसके हर कोई एक सुंदर सी नायिका को अपने सपनो मे जगह देना पसंद करता है ने जिसकी सुन्दरता के सामने आप हमेशा नतमस्तक रहें लेकिन ये प्यार की वास्तविक हकीकत से कोसों दूर का एहसास है.एसिड अटैक

इश्क और मोहब्बत पर लिखने वाले शायरों ने प्यार को इन्सान की रूह का आइना बताया है फिर इस शरीर की तो बिसात ही क्या है बस मायने ये रखता है कि इस खूबसूरत एहसास को आप बाहरी सुन्दरता से परखना चाहते हैं या फिर प्रेम की जरूरी प्राथमिक इकाई यानि सच्चे मन से.

मोहब्बत की पराकाष्ठा क्या होती है इसका सटीक उदहारण पेश किया है सरोज साहू ने. नौ साल पहले एसिड अटैक का शिकार होकर अपनी आंखों की रोशनी गंवा देने वाली प्रमोदिनी उर्फ रानी को आज वेलेंटाइन-डे पर जीवन साथी के रूप में एक अनोखा तोहफा मिला है.

यह भी पढ़ें: ‘पांच हजार करोड़’ में बदले थे मौलाना नदवी के सुर, श्रीश्री रविशंकर के करीबी का बड़ा आरोप

उड़ीसा के जगतपुर में 2009 में कक्षा 12 की छात्रा रानी को कॉलेज से लौटते वक्त अक्सर एक लड़का परेशान करता था. यह एकतरफा प्यार का मामला था और रानी की न को बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण लड़के ने उसके उपर एसिड डाल दिया था. एसिड से रानी की आंखों से उसके सारे ख्वाब छीन लिए और उसकी हंसती खेलती जिन्दगी किसी की मानसिक विकृति का शिकार बन गई.

ऐसिड अटैक ने उसके जिस्म को ही नहीं रूह को भी झुलसा दिया था. लेकिन कहते हैं कि ईश्वर एक हाथ से लेता है तो दस हाथों से देता है. रानी को 25 साल की उम्र में जिंदगी ने दोबारा मुस्कुराने का हौसला दिया है. जिन्दगी ने उसके इलाज से लेकर उसके ठीक होने तक उसकी तीमारदारी करने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सरोज साहू को उसका हमसफर बना के भेजा है.

रानी ने मीडिया विशेष बातचीत में बताया कि 2009 में एसिड हमले से वो 80 फीसदी तक झुलस गयी थी. उसकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गयी थी, चलने फिरने से भी मजबूर थी.  करीब नौ महीने तक उड़ीसा के एक सरकारी अस्पताल के आईसीयू में रहने के बाद पैसों के आभाव में उसके परिवार वाले घर वापस ले आये.

रानी ने बताया की अस्पताल में एक नर्स के द्वारा सरोज उनतक पहुंचे. वह मेडिकल रिप्रेजें​टेटिव थे और अस्पताल आते रहते थे. डॉक्टर ने मेरे पैरों के सही होने पर संदेह जताया था जिसके बाद सरोज की मेहनत से रानी 4 महीनो में ही अपने पैरों पर खड़ी हो गयी. रानी का ख्याल रखने के लिए सरोज ने अपनी नौकरी तक छोड़ दी.

रानी बताती हैं कि वो स्टाप एसिड अटैक कैम्पेन से जुडी और पांच जनवरी 2016 को बेहतर इलाज के लिये दिल्ली आ गयी. उस वक्त तक सरोज से उनकी दोस्ती भर थी लेकिन जब वह दिल्ली आ गईं तब सरोज को एहसास हुआ कि रानी के बिना उसकी जिन्दगी अधूरी है.

उसी साल 14 जनवरी को उसने रात 11 बजे रानी को फोन करके आपने प्यार का इजहार किया और शादी की इच्छा जताई. रानी ने पहले कहा कि उसको आँखों से दिखाई नही देता जिसके कारण अपनी जिन्दगी जीने में समस्याएं हैं फिर किसी की पत्नी बनना तो दूर की बात है लेकिन सरोज को कोई फर्क नही पड़ा. रानी की आँखों का इलाज कराया गया और जब रौशनी 20 फीसदी तक आ गयी तब जाकर रानी ने सरोज के प्रस्ताव को स्वीकार किया.

यह भी पढ़ें: बिहार में बड़ी साजिश नाकाम, आतंकियों के कमरे में धमाका, 4 फरार

रानी और सरोज वैलेंटाइन डे के मौके पर कल  स्टाप एसिड अटैक कंपेन द्वारा संचालित शीरोज कैफे में सगाई के बंधन में बंध गये.

स्टाप एसिड अटैक कैम्पेन लखनऊ में आलोक दीक्षित चलाते है और उनके द्वारा चलाये जाने वाले शीरोज हैंग आऊट कैफे में एसिड अटैक की शिकार लड़कियां ही काम करती है.

रानी और सरोज की सगाई का पूरा इंतजाम भी दीक्षित ने ही किया था. सरोज का कहना है कि वह और रानी शादी के बाद उड़ीसा में स्टाप एसिड अटैक कंपेन चलायेंगे और शीरोज हैंग आऊट कैफे चलाकर एसिड अटैक की शिकार लड़कियों को रोजगार देंगे.

शादी के सवाल पर उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि अगले साल वैलेंटाइन-डे को ही वो शादी के लिए चुनेंगे.

LIVE TV