आरुषि-हेमराज मर्डर केस नौ साल बाद भी मिस्ट्री, ‘फर्जी’ जांच के चलते कोर्ट के निशाने पर सीबीआई

आरुषि-हेमराज हत्याकांडनई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी चर्चित मर्डर मिस्ट्री आरुषि-हेमराज हत्याकांड में गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तलवार दंपति को बरी कर दिया। मामले में कोर्ट ने सीबीआई जांच पर कई सवाल उठाए हैं। इनमें सबूतों से छेड़छाड़, क्राइम सीन को ड्रेस अप करना और फर्जी गवाह पेश किए जाने की बात शामिल है।

खबरों के मुताबिक़ हाई कोर्ट ने एक गवाह भारती मंडल पर भी सवाल उठाए। भारती डॉ। तलवार के यहां काम करती थी।

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उसने ट्रायल कोर्ट में कहा था कि वारदात के बाद सुबह करीब 6 बजे वह राजेश तलवार के घर पहुंची थी। उस समय दरवाजा खुल नहीं पाया था।

इसके बाद सीबीआई ने इस बारे में कहा था कि भारती के बयान के आधार पर ऐसा अनुमान होता है कि उस कत्ल की रात दरवाजा अंदर से बंद था।

हालांकि, जब भारती से दोबारा बयान लिए गए तो उसने कहा कि जैसा उसे सिखाया गया था, ऐसा ही उसने अपने बयान में कहा।

अब कोर्ट की बेंच ने कहा है कि भारती की दोनों गवाही से यह साफ होता है कि उसे गवाही देने से पहले से तैयार किया गया था।

कोर्ट ने एक फर्जी गवाह पेश करने की भी बात कही है। दरअसल, संजय चौहान ने गवाही में कहा था कि सुबह टहलने के समय उसने डॉ तलवार के घर पर पुलिस की गाड़ियां देखी। अंदर फर्श और रेलिंग पर खून लगा हुआ था।

इस गवाह के मामले में बचाव पक्ष ने सीबीआई से सवाल किया कि उन्हें संजय के बारे में कैसे पता चला।

क्योंकि संजय ने ट्रायल कोर्ट में गवाही के दौरान साफ कहा था कि घटनास्थल पर उसने पुलिस से कोई बात नहीं की थी। इस बात से साफ नजर आता है कि संजय सीबीआई का बनाया हुआ एक फर्जी गवाह था।

सीबीआई ने कहा था कि राजेश तलवार की गोल्फ स्टिक से आरुषि और हेमराज के सिर पर हमला किया गया। फिर दोनों के गले को सर्जिकल ब्लेड से काट दिया गया। लेकिन बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में इस बात का सबूत है कि जो गोल्फ स्टिक राजेश तलवार ने दी थी, न तो उसे ठीक से सील किया गया और न ही मालखाने में रखा गया। उसके साथ छेड़छाड़ भी की गई।

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मामले में कोर्ट ने एक और बात पर ध्यान दिलाया कि 2008 में सीबीआई ने एक साउंड टेस्ट किया था। दरअसल, राजेश और नूपुर ने कहा था कि एसी चलने की आवाज की वजह से उन दोनों के कमरे के बाहर होने वाली किसी भी क्रिया की आवाज नहीं आती। टेस्ट में भी यह बात सही साबित हुई लेकिन ट्रायल कोर्ट में यह बात नहीं बताई गई।

इस केस के ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि हेमराज के खून से सना तकिया, कम्पाउंडर कृष्णा के कमरे में मिला।

सीबीआई ने कृष्णा समेत राजकुमार और विजय को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

कार्रवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि यह साफ है कि कत्ल की रात कृष्णा और हेमराज एक साथ थे। इसके अलावा राजेश और नूपुर को छोड़कर और भी कुछ लोग घर में मौजूद थे।

हालांकि, सीबीआई ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उनमें कहा गया कि तकिया और उसका कवर हेमराज के रूम से बरामद हुआ था। इसके साथ सीडीएफडी, हैदराबाद की रिपोर्ट में “टाइपोग्राफिकल गलती” हुई थी।

सीबीआई की रिपोर्ट में साफ था कि सबूतों में “किसी भी गलती की कोई संभावना नहीं है”। लेकिन कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सबूतों में अंतर था।

कोर्ट ने सीडीएफडी के एसपी आर। प्रसाद की गवाही की ओर भी इशारा किया। प्रसाद ने कहा था कि सभी 56 सबूतों को ठीक से बंद किया गया था। लेकिन बाद में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई।

ट्रायल कोर्ट ने नोट किया था कि नौकर हेमराज का शव घर की छत पर मिला था। छत के दरवाजे भी उस समय बंद थे।

छत के दरवाजे को इस वारदत से पहले कभी बंद नहीं किया गया था और तलवार ने पुलिस को लॉक की चाबी नहीं दी थी।

इसके साथ ही कहा गया था कि कोई बाहरी शख्स न तो शव को ऊपर ले जा सकता है और ना ही क्राइम सीन को ड्रेस अप कर सकता है।

हालांकि, हाई कोर्ट ने हेमराज के शव छुपाने वाली बात को नकार दिया। इस मामले में पहले कहा गया था कि तलवार दंपति ने हेमराज की हत्या कर उसके शव को छत पर छुपाया था। ताकि बाद में उसे ठिकाने लगा दिया जाए। लेकिन बेंच के मुताबिक, हत्या के बाद जांच में नोएडा पुलिस की लापरवाही के चलते हेमराज के शव को नहीं ढूंढा गया।

वहीं अभियोजन पक्ष ने बताया था कि आरुषी की हत्या के तुरंत बाद फ़्लैट को धोया गया था। ताकि हत्या के सारे सबूत मिटाए जा सके, लेकिन कोर्ट ने साफ़ किया कि इस बात का भी नोएडा पुलिस और सीबीआई को कोई भी पुख्ता सबूत नहीं हासिल हुआ।

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