कंबोडिया साइबर ठगी का काला कारोबार: भारतीय युवाओं को 3500-4500 डॉलर में बेचा जाता है; आगरा पुलिस ने किया गिरोह का भंडाफोड़

आगरा में साइबर सेल और साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मंगलवार को एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया जो बेरोजगार भारतीय युवाओं को नौकरी का लालच देकर कंबोडिया, वियतनाम, सिंगापुर, बैंकाक और लाओस भेजता था।

पूछताछ में खुलासा हुआ कि चीनी साइबर ठग इन युवाओं को 3500 से 4500 डॉलर (करीब 2.9 से 3.75 लाख रुपये) में खरीद लेते हैं। इनसे सिर्फ एक महीने तक ठगी का काम कराया जाता है, फिर नए युवाओं से बदल दिया जाता है ताकि हर महीने करोड़ों की कमाई हो सके। गिरोह के पकड़े गए सदस्यों से मिली जानकारी के मुताबिक, कंबोडिया के फ्नोम पेन्ह और पोइपेट शहर चीनी साइबर ठगों के लिए सबसे सुरक्षित केंद्र हैं जहां आलीशान ऑफिसों में कॉल सेंटर चलते हैं। इनमें सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं और एक कंपनी में 10 टावर व 10 फ्लोर पर कार्यालय व आवास की व्यवस्था होती है।

गिरोह के एजेंट युवाओं को 50 हजार से एक लाख रुपये मासिक नौकरी का झांसा देकर उनकी रकम ऐंठ लेते हैं, फिर विदेश में चीनी ठगों को बेच देते हैं। वहां युवाओं को डिजिटल अरेस्ट, शेयर ट्रेडिंग फ्रॉड, हनी ट्रैप जैसे साइबर अपराधों में झोंक दिया जाता है। ठगी की रकम अपने खातों में जमा कराई जाती है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल के बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाया जाता है। गिरोह के भंडाफोड़ के बाद आगरा पुलिस से अन्य शहरों के पीड़ित संपर्क कर रहे हैं और सक्रिय एजेंटों की जानकारी दे रहे हैं। एडीसीपी आदित्य सिंह ने बताया कि सभी जानकारियां जुटाई जा रही हैं और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

पकड़े गए दो सदस्यों में उन्नाव निवासी आतिफ खान और इंदौर का अजय कुमार शुक्ला शामिल हैं। अजय को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया जबकि आतिफ को रिमांड पर लिया गया है। तीसरा आरोपी आमिर खान को महाराष्ट्र के रत्नागिरी से गिरफ्तार कर लाया गया है और उससे पूछताछ हो रही है। आतिफ से पूछताछ में पता चला कि वह पाकिस्तानी एजेंटों के संपर्क में भी था। उसके मोबाइल व लैपटॉप से दस्तावेज बरामद हुए जिसमें यूपी, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर के 15 और पाकिस्तान के 15 युवाओं के पासपोर्ट-वीजा मिले। आतिफ ने इन्हें कंबोडिया बुलाकर ठगों को बेचा था।

पुलिस अब इन पीड़ितों से संपर्क कर मुकदमों में शिकायतें जोड़ रही है। आमिर से ज्यादा जानकारी नहीं मिली है। साइबर सेल के सूत्रों के मुताबिक, चीनी नागरिक मुख्य नेटवर्क चला रहे हैं जबकि एजेंट भारत व अन्य देशों में फैले हैं।

यह गिरोह कंबोडिया को साइबर ठगी का केंद्र बनाए हुए है जहां हजारों भारतीय युवा फंस चुके हैं। पीड़ितों ने बताया कि वहां यातनाएं दी जाती हैं और भागने की कोशिश पर सजा मिलती है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि विदेशी नौकरी के नाम पर संदिग्ध एजेंटों से सावधान रहें।

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