बहराइच में फिर आतंक मचाने लगे आदमखोर भेड़िये: मां की गोद से छीना मासूम, इस साल चार बच्चों को बनाया शिकार

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक बार फिर भेड़ियों का आतंक फैल गया है। शनिवार, 20 सितंबर, 2025 को मंझारा तौकली गंदूझाला गांव में एक भेड़िये ने मां की गोद से तीन वर्षीय मासूम अंकेश को छीन लिया। इस साल अब तक भेड़ियों ने चार बच्चों को अपना शिकार बनाया है, लेकिन वन विभाग इन्हें पकड़ने में नाकाम रहा है। ड्रोन और कैमरों से निगरानी के बावजूद भेड़ियों का पता नहीं चल सका है, जिससे ग्रामीणों में दहशत और गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

घटना का विवरण
मंझारा तौकली गंदूझाला गांव के निवासी रक्षाराम यादव का बेटा अंकेश सुबह अपनी मां सरला देवी की गोद में दूध पी रहा था। तभी एक भेड़िया तेजी से आया और बच्चे को खींचकर पास के गन्ने के खेत की ओर भाग गया। मां की चीख सुनकर ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर दौड़े, लेकिन भेड़िया और बच्चा दोनों गायब हो गए। डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) राम सिंह यादव, रेंजर ओंकारनाथ यादव और पुलिस टीम मौके पर पहुंची। ड्रोन से बच्चे की तलाश की गई, लेकिन देर शाम तक कोई सुराग नहीं मिला। इस घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है, और ग्रामीण अपने बच्चों को घर से बाहर निकलने नहीं दे रहे।

इस साल चार बच्चों की मौत
2025 में भेड़ियों ने बहराइच में अब तक चार बच्चों को अपना शिकार बनाया है। इनमें शामिल हैं:

  • 3 जून: गदामार के गढीपुरवा में आयुष (2 वर्ष)
  • 10 सितंबर: मंझारा तौकली के परागपुर में ज्योति (4 वर्ष)
  • 12 सितंबर: भौंरी के बहोरवा में संध्या (4 माह)
  • 20 सितंबर: मंझारा तौकली के गंदूझाला में अंकेश (3 वर्ष)

पिछले साल भी भेड़ियों ने 10 लोगों को मार डाला था, जिसमें ज्यादातर बच्चे थे। इस साल फिर से हमले बढ़ने से ग्रामीणों में डर का माहौल है।

एक और हमला
शनिवार शाम को कैसरगंज क्षेत्र के हरीरामा पुरवा में एक भेड़िये ने बकरी पर हमला किया। ग्रामीणों के शोर मचाने पर भेड़िया बकरी को छोड़कर गन्ने के खेत में भाग गया। रेंजर ओंकारनाथ यादव ने बताया कि वन विभाग ने ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी है, लेकिन भेड़िया अभी तक पकड़ में नहीं आया।

वन विभाग की कोशिशें
डीएफओ राम सिंह यादव ने बताया कि सरयू नदी के कछार क्षेत्र में घनी झाड़ियां और गन्ने के खेत भेड़ियों को छिपने और हमला करने का मौका देते हैं। वन विभाग ने इलाके को चार सेक्टरों में बांटकर गश्ती दल तैनात किए हैं। पांच कैमरा ट्रैप, 15 सोलर सीसीटीवी कैमरे, तीन ट्रैपिंग पिंजरे, और दो थर्मल ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पगमार्क ट्रैकिंग भी जारी है, लेकिन भेड़ियों को पकड़ने में अभी तक सफलता नहीं मिली है।

2024 में, वन विभाग ने “ऑपरेशन भेड़िया” के तहत छह में से पांच भेड़ियों को पकड़ा था, और छठा भेड़िया ग्रामीणों द्वारा मार दिया गया था। इस साल भी इसी तरह की रणनीति अपनाई जा रही है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं।

ग्रामीणों का गुस्सा और डर
घटना के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आनंद यादव ने गंदूझाला गांव का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “इस इलाके में अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है और 12 से अधिक लोग घायल हुए हैं, लेकिन वन विभाग असफल रहा है।” ग्रामीणों का कहना है कि बिना दरवाजों वाले घर और बिजली की कमी के कारण बच्चे आसान शिकार बन रहे हैं। कई परिवार रात में छत पर सोने को मजबूर हैं, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।

विशेषज्ञों की राय
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक वाई. वी. झाला ने बताया कि भेड़ियों के हमले गरीबी, प्राकृतिक शिकार की कमी, और बच्चों की असुरक्षा के कारण बढ़ते हैं। उन्होंने यह भी संदेह जताया कि ये हमले शुद्ध भेड़ियों के बजाय भेड़िया-कुत्ता संकर (हाइब्रिड) जानवरों द्वारा हो सकते हैं, जो इंसानों से डरते नहीं हैं। बाढ़ और प्राकृतिक आवास का नुकसान भी भेड़ियों को मानव बस्तियों की ओर धकेल रहा है।

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