इसरो के नए रॉकेट SSLV-D1 की लॉन्चिंग सफल, लेकिन सैटेलाइट्स से डेटा मिलना हुआ बंद
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने अपना पहला लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) मिशन लॉन्च कियालॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से सफलतापूर्वक की गई। बता दें लॉन्चिंग सफल रही, रॉकेट ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया है। लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है। हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे, देश को सूचित करेंगे।
आज श्रीहरिकोटा में हुआ शुभारंभ
रविवार के मिशन में, एसएसएलवी ‘स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा विकसित अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस) -02 और एक साथी उपग्रह ‘आज़ादीसैट’ ले जाएगा। इसरो के सूत्रों के अनुसार, अन्य मिशनों की तुलना में उलटी गिनती 25 घंटे से घटाकर पांच घंटे कर दी गई है और आज सुबह 9.18 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से लॉन्च किया।
करीब 13 मिनट की यात्रा के बाद एसएसएलवी पहले ईओएस-02 को वांछित कक्षा में स्थापित करेगा। इस सैटेलाइट को इसरो ने डिजाइन किया है। इसके बाद एसएसएलवी ‘आज़ादीसैट’ को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह उपग्रह आठ किलो का क्यूबसैट है, जिसे देश भर में सरकारी स्कूल की लड़कियों द्वारा स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में डिजाइन किया गया है।
‘आज़ादीसत’ में 75 अलग-अलग वाद्ययंत्र होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 50 ग्राम होता है। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों को इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा इन उपकरणों के निर्माण के लिए निर्देशित किया गया था, जिसे ‘स्पेस किड्स इंडिया’ की छात्र टीम द्वारा समन्वित किया गया था। इस उपग्रह से डेटा एकत्र करने के लिए ‘स्पेस किड्स इंडिया’ द्वारा विकसित ग्राउंड सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।