
नई दिल्ली । महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही उठा-पटक के बीच सूचना सामने आई कि यदि राज्य में सरकार बनाने की स्थिति स्पष्ट नही हो पा रही है तो शाम तक राष्ट्रपति शासन लगाने का अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
बता दें कि महाराष्ट्र में चुनाव के बाद बीजेपी-शिवसेना में इस बात की रार चल रही थी की सीएम की कुर्सी का बटवारा कैसे किया जाए शिवसेना का मानना था कि दोनों पार्टियां 50-50 की थ्योरी पर काम करे लेकिन भाजपा को ये फार्मुला कुछ समझ में नही आया जिसको लेकर गठबंधन में समस्या आई थी।
अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाने के बाद सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि, राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।
इसके साथ ही जानकारी ये भी मिली है कि, शिवसेना राष्ट्रपति शासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है और इसलिए पार्टी ने वकील और कांग्रेस नेता कपील सिब्बल से बात भी की है।
शिवसेना का कहना है कि, हमें सरकार बनाने के लिए कम से कम तीन दिन का सामय मिलना चाहिए। अगर नहीं मिलता है तो फिर शिवसेना सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।
जनकारी के मुताबिक, राज्यपाल शाम तक इंतजार करेंगे और फिर राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा। बता दें, राज्यपाल भाजपा, शिवसेना और एनसीपी तीनों पार्टियों से बात की है और अभी तक कुछ भी साफ नहीं हो पाया है।
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इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि, सरकार बनाने में देरी उनकी तरफ से नहीं, बल्कि एनसीपी चीफ शरद पवार की ओर से हो रही है। इसके पीछे कांग्रेस की थ्योरी है कि शरद पवार चाहते हैं कि दोनों पार्टियों शिवसेना और एनसीपी को ढाई-ढाई साल सीएम पद मिले। यानी सीएम का पद रोटेशनल हो। वहीं, शिवसेना अभी भी आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।