
विश्व साक्षरता दिवस आज पुरे देश में मनाया जा रह हैं. वहीं देखा जाये तो भारत में इसके आकड़े बेहद चौकाने वाले सामने आये हैं. वहीं यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट में खुलासा हुआ हैं की भारत में साल 2050 में प्राइमरी शिक्षा का का वैश्विक लक्ष्य हासिल करने में सफल होगा।
बतादें की अगर हम आजादी से वर्तमान साक्षरता दर का आंकलन करें तो स्थिति थोड़ी बेहतर हैं। आजादी के बाद से देश में साक्षरता का ग्राफ 57 प्रतिशत बढ़ा है लेकिन इसके बावजूद भी हम वैश्विक स्तर पर काफी पिछड़े हैं।
वहीं 2011 में हुई जनगणना के अनुसार केरल (93.91%) भारत का सर्वाधिक साक्षर राज्य है। बिहार में यह दर जहां 63.82 फीसदी है वहीं तेलंगाना 66.50 फीसदी साक्षर है।
इसके बाद लक्ष्यद्वीप (92.28%), मिजोरम (91.58%), त्रिपुरा (87.75 %) और गोवा (87.40%) भी सूची में शामिल हैं। बिहार और तेलंगाना दो ऐसे राज्य हैं जिनकी साक्षरता दर सबसे कम है।
खबरों के मुताबिक भारत में साक्षरता दर में भी लैंगिक असमानता देखने को मिल रही है। जिस प्रकार देश में आर्थिक असमानता है उसी प्रकार साक्षरता को लेकर भी महिलाओं और पुरुषों में गहरा अंतर देखने को मिलता है।
देश में जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% है वहीं महिलाओं में यह केवल 65.46% है। महिलाओं में कम साक्षरता का मुख्य कारण अधिक आबादी और परिवार नियोजन की जानकारी का ना होना है।
दरअसल गरीब देश माने जाने वाला भूटान भी भारत से ज्यादा पीछे नहीं है। यहां 80% पुरुष, 68% महिलाएं और 74% युवा साक्षर हैं। वही, साक्षरता दर के मामले में बांग्लादेश की हालत बहुत अच्छे नहीं है फिर भी वो भारत से बहुत ज्यादा पीछे नही है। यहां पुरुषों की साक्षरता दर 75%, महिलाओं की 78% और युवाओं की 77% है।