
बादल फटने से हुई तबाही का मंजर खीड़ा के दो किलोमीटर के दायरे में पूरी तरह से देखा जा सकता है। अचानक हुई बारिश से गधेरे (बरसाती प्राकृतिक नाले) और अन्य छोटे नाले उफना गए। इस पानी के बहाव की जद में आए घरों के लोगों ने भागकर किसी तरह जान बचाई। चारों घरों के जेवरात व राशन सहित पूरा सामान तथा दो बैल भी बह गए हैं। गांव की पेयजल योजना तथा रास्ते भी ध्वस्त हुए हैं। तीन स्थानों पर सड़क में भारी मात्रा में मलबा आया है।
मवेशियों को बचाने के प्रयास में पानी की चपेट में आकर लापता हुए रामसिंह का शव देर रात तक भी नहीं मिला था। थानाध्यक्ष रमेश सिंह बोहरा के नेतृत्व में थाना चौखुटिया व खीड़ा चौकी की पुलिस शव की तलाश में जुटी है। इसी गांव की बालादेवी पत्नी कुंवर सिंह, जयंती देवी पत्नी कुंदन सिंह, गोविंद सिंह पुत्र नारायण सिंह तथा जगत सिंह पुत्र खीम सिंह के मकान पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।
इन घरों मे रहने वाले लोगों ने किसी तरह भागकर जान बचाई। राशन, जेवरात सहित सारा सामान बह गया है। जगत सिंह के दो बैल भी बह गए हैं, उनके दूसरे मकान को भी क्षति पहुंची है। चंदन सिंह के मकान में भी पानी भर गया है मवेशी भी दबे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता शोबन सिंह नेगी ने बताया कि जुकानी में रमेश सिंह की दुकान का आधा सामान व बाइक बह गई है।
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देव सिंह की कार मलबे में दब गई है। इसी तोक से लगे बाजपुर में गौशाला के दरवाजे पर मलबा भर गया है और मवेशी अंदर फंसे पड़े हैं। ग्वारिंग गांव के ग्वारिंग गधेरे में अचानक आए उफान से गांव की पेयजल लाइन बह गई है। रास्ते ध्वस्त हो गए हैं। जबकि गांव में रहने वाले चार परिवारों के घर सुरक्षित हैं। गांव के शिव सिंह ने बताया कि ग्वारिंग गांव के लिए भी भारी खतरा पैदा हो गया है।
मानसून के सक्रिय होने से पहले ही बादल फटने के मामले में पिछले कुछ सालों से सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक बादलों का फटना माइक्रो क्लाइमेट पर भी निर्भर करता है। 2018 में ही मई माह में चमोली के नारायणबगड़ क्षेत्र में बादल फटने का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद एक जून को टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, पिथौरागड़ में बादल फटने की घटना सामने आई थी। इसी तरह केदारनाथ आपदा भी 16-17 जून 2013 को आई थी। इस समय तक प्रदेश में मानसून सक्रिय नहीं हुआ था।
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चमोली जिले के गैरसैंण क्षेत्र के अंतर्गत लामबगड़ गांव में रविवार को प्रकृति ने भारी तबाही मचाई है। गांव के जंगल में बादल फटने से बादर सिंह (75 वर्ष) की मलबे में दबकर मौत हो गई और पांच गांवों की सैकड़ों नाली कृषि भूमि बरसाती मलबे में समा गई। गांव को जोड़ने वाले चौखुटिया मार्ग और पुलिया को भी आपदा से नुकसान पहुंचा है। आपदा राहत एवं बचाव टीम मौके पर है।